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Navratri 2024 Sandhi Puja: नवरात्रि की ‘संधि पूजा’ क्या है, क्यों है शुभ और कल्याणकारी? जानें 108 दीये जलाने का रहस्य

Navratri 2024 Sandhi Puja: आज नवरात्रि का नौवां दिन है। आज अष्टमी तिथि का नवमी तिथि से मेल बेहद खास माना जाता है। इस मौके पर ‘संधि पूजा’ का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं, यह क्या है और इस मौके पर 108 दीये क्यों जलाए जाते हैं?
02:07 PM Oct 11, 2024 IST | Shyam Nandan
navratri 2024 sandhi puja  नवरात्रि की ‘संधि पूजा’ क्या है  क्यों है शुभ और कल्याणकारी  जानें 108 दीये जलाने का रहस्य

Navratri 2024 Sandhi Puja: 3 अक्टूबर से शुरू हुए मातृ पूजा और शक्ति साधना के महापर्व नवरात्रि का आज नौवां दिन है। देवी दुर्गा के नवम रूप मां सिद्धिदात्री की पूजा के बाद आज नवरात्रि त्योहार का समापन हो जाएगा। तिथि की दृष्टि से आज के दिन अष्टमी तिथि का नवमी तिथि से संयोग बेहद खास माना गया है। ग्रंथों में इस मौके पर ‘संधि पूजा’ करने का विधान मिलता है। आइए जानते हैं, यह क्या है, क्यों शुभ और इस मौके पर 108 दीये क्यों जलाए जाते हैं?

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संधि पूजा क्या है?

जिस तरह सूर्य के अस्त होते समय दिन और रात के बीच के समय को संध्याकाल कहते हैं, उसी तरह जब एक तिथि समाप्त होकर दूसरी प्रारंभ हो रही होती है, तो उसे संधि काल कहते हैं। नवरात्रि में जब अष्टमी और नवमी तिथि के समय का मिलन हो रहा होता है, तो इस काल में संधि पूजा की जाती है।

संधि पूजा अष्टमी तिथि के अंतिम 24 मिनट और नवमी तिथि के प्रारंभ होने के 24 मिनट बाद तक की अवधि में ही की जाती है। चूंकि यह दो तिथियों का मेल है, इसलिए इसे ‘संधि पूजा’ कहा जाता है।

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संधि पूजा का महत्व

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, दो विशेष तिथियों के संधि काल में किया गया हवन और पूजा शीघ्र फलदायी होती है। नवरात्रि के की अष्टमी और नवमी तिथि के संधि काल देवी महागौरी और मा सिद्धिदात्री की आराधना करने से भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। उनपर सदैव देवी की कृपा बनी रहती है और आरोग्य, सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यही कारण है कि हर वर्ष शारदीय नवरात्रि की अष्‍टमी-नवमी तिथि के मेल पर संधि पूजा की जाती है।

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क्यों जलाए जाते हैं 108 दीये

शास्त्रों में संधि पूजा के दौरान 108 दीये जलाने का वर्णन मिलता है। ये दीये देवी मां के समक्ष जलाए जाते हैं। मान्यता है कि ये दीये बुराई पर अच्छाई का और अज्ञानरूपी अंधकार पर ज्ञानरूपी प्रकाश की जीत का प्रतीक है। मान्यता है कि ब्रह्मांड की सबसे अच्छी और सबसे मजबूत ऊर्जा संधि काल में होती है। वहीं संधि पूजा उस दिव्य नारी शक्ति का उत्सव मनाता है, जो सभी शक्ति उपासकों को ऊर्जा और शक्ति देने के लिए आदर्श काल यानी अष्टमी-नवमी संधि काल में प्रकट होती है।

बता दें कि नवरात्रि पर संधि पूजा करने की परंपरा बंगाल में सबसे अधिक प्रचलित है। इस मौके पर एक गोल और बड़ी थाली में 108 दीये के साथ देवी माता को 108 कमल के फूल, 108 पान-सुपारी, साड़ी, श्रृंगार के सामान और नैवेद्य भेंट किए किए जाते हैं। मान्यता है कि इससे शत्रुओं का नाश हो जाता है, बिगड़े हुए काम भी बन जाते हैं और अभीष्ट मनोकामना पूरी होती है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष  शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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