Navpatrika Puja 2024: 9 या 10 अक्टूबर, कब है नवपत्रिका पूजा? जानें तिथि, पूजा विधि और महास्नान का लाभ
Navpatrika Puja 2024: सनातन धर्म के लोगों के लिए नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि के 9 दिनों के दौरान माता दुर्गा की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। हर साल नवरात्रि के सातवें दिन सप्तमी तिथि पर नवपत्रिका पूजा का पर्व मनाया जाता है। नवपत्रिका पूजा का त्योहार विशेषतौर पर बंगाल, झारखंड, ओडिशा, त्रिपुरा, मणिपुर और असम के शहरों में धूमधाम से मनाया जाता है, जिसे वहां नाबापत्रिका पूजा और कलाबाऊ पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
इस शुभ दिन भगवान गणेश और माता दुर्गा का पूजा की जाती है। साथ ही केला, कच्ची, हल्दी, अनार, अशोक, मनका, धान, बिल्व और जौ के पौधों की पत्तियों को एक साथ बांधकर उसकी पूजा की जाती है, जिसे मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है। चलिए जानते हैं इस साल नवपत्रिका पूजा का पर्व किस दिन मनाया जाएगा।
नवपत्रिका पूजा कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल सप्तमी तिथि का आरंभ 09 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 10 अक्टूबर 2024 को देर रात 12 बजकर 31 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर नवपत्रिका पूजा का पर्व 10 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रात: काल 05 बजकर 55 मिनट पर है। जबकि सूर्योदय सुबह 06 बजकर 19 मिनट पर होगा।
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महास्नान का लाभ
नाबापत्रिका के दिन हल्दी, केला, अनार, कच्ची, अशोक, धान, मनका, जौ और बिल्व की एक-एक पत्तियों को साथ में बांधकर सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी के पानी से स्नान कराएं। इस पूरी प्रक्रिया को महास्नान कहा जाता है। किसान भी नाबापत्रिका की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, नाबापत्रिका की पूजा करने से फसल की पैदावार अच्छी होती है। साथ ही भगवान गणेश और माता दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है, जिससे घर-परिवार में धन और खुशहाली का वास होता है।
नवपत्रिका पूजा विधि
- सप्तमी तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
- स्नान आदि कार्य करने के बाद लाल या सफेद रंग के शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- नौ तरह के नए पत्ते लें और उसे साथ में बांध दें। फिर उसे भी स्नान कराएं।
- घर के मंदिर में चौकी रखें। उसके ऊपर लाल या सफेद रंग का कपड़ा बिछाएं।
- कपड़े पर मां दुर्गा की मूर्ति रखें। मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद 16 प्रकार की सामग्री से षोडशोपचार पूजा करें।
- अंत में मां दुर्गा की आरती करके पूजा का समापन करें।
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