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निर्जला एकादशी के पारण में न करें ये गलतियां, अन्यथा नहीं मिलेगा व्रत का फल

Nirjala Ekadashi 2024: एकादशी का व्रत जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्व उसके पारण यानी व्रत तोड़ने की विधि का है। पारण करने के नियम के उल्लंघन से आपका व्रत निष्फल हो सकता है। आइए जानते हैं, निर्जला एकादशी का पारण किस वस्तु के सेवन से करना है, ताकि आपका व्रत पूर्ण हो।
07:15 AM Jun 11, 2024 IST | Shyam Nandan
निर्जला एकादशी के पारण में न करें ये गलतियां  अन्यथा नहीं मिलेगा व्रत का फल

Nirjala Ekadashi 2024: हिन्दू पंचांग के अनुसार निर्जला एकादशी मंगलवार 18 जून, 2024 और इसका पारण बुधवार 19 जून को किया जाएगा। महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास के अनुसार, निर्जला एकादशी साल की सभी 24 एकादशियों में श्रेष्ठ है। केवल यही नहीं निर्जला एकादशी करने से पूरे साल की सभी चौबीस एकादशियों का फल प्राप्त होता है।

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सबसे कठिन एकादशी

निर्जला एकादशी अक्सर जून के महीने में पड़ती है, जो भीषण गर्मी का महीना होता है। वहीं, इस व्रत में जल की एक बूंद भी ग्रहण करना वर्जित है, अन्यथा व्रत भंग हो जाता है और मनोकामना निष्फल हो जाती है। इसलिए यह एकादशी सभी एकादशियों में सबसे कठिन है।

निर्जला एकादशी 2024 पारण मुहूर्त

इस एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि में 19 जून को तोड़ा जाएगा। इसके पारण यानी व्रत तोड़ने का समय सुबह 5 बजकर 24 मिनट से 7 बजकर 28 मिनट तक है। मान्यता के अनुसार, यदि एकादशी का पारण पंचांग में दी गए मुहूर्त में नहीं किया जाता है, तो व्रत अधूरा माना जाता है या निष्फल हो जाता है। इसलिए पारण में यह गलती नहीं करनी चाहिए।

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किस चीज से तोड़ें निर्जला एकादशी व्रत?

पंडितों और ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक प्रत्येक एकादशी व्रत को भिन्न-भिन्न वस्तुओं को ग्रहण (सेवन) कर तोड़ा जाता है। इसलिए एकादशी उपवास के भोजन से पहले उस वस्तु का सेवन सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। निर्जला एकादशी 2024 के पारण के लिए सबसे पहले 'तिल' (Tila) से मुंह जूठा करने के बाद ही भोजन करें। इस नियम का उल्लंघन करने से आपका एकादशी व्रत निष्फल हो सकता है और आपकी मनोकामना पूरी नहीं हो सकती है।

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क्यों कहते हैं इसे भीमसेनी एकादशी?

महाभारत के एक प्रसंग के अनुसार, महर्षि वेद व्यास के कहने पर भीम ने निर्जला एकादशी व्रत किया था। तब से यह एकादशी व्रत 'भीमसेनी एकादशी' या 'पांडव एकादशी' के नाम से प्रसिद्ध हो गया। कहते हैं, भीम पूरे साल में केवल निर्जला एकादशी ही किया करते थे, ताकि उनको सभी 24 एकादशियों का फल प्राप्त हो सके।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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