Panchgavya: ‘पंचगव्य’ क्या है, जिससे हुई तिरुपति मंदिर के लड्डू और अन्नप्रसादम रसोई की शुद्धि
Panchgavya Kya Hai: पिछले कई दिनों से तिरुपति मंदिर के प्रसादम यानी लड्डू में इस्तेमाल हुए घी में पशु चर्बी पाए जाने कारण यह काफी विवादों में रहा है। माना जा रहा है कि इससे भक्तों को आस्था पर ठेस पहुंची है। 23 सितंबर की सुबह यानी आज 6 बजे तिरुमल तिरुपति देवस्थानम ने तिरुपति मंदिर के लड्डू और अन्नप्रसादम रसोई घर को शुद्ध किया है। इसकी शुद्धि के लिए ‘पंचगव्य’ का प्रयोग किया गया है। आइए जानते हैं, पंचगव्य क्या है और कैसे हुई तिरुपति मंदिर की रसोईघर की शुद्धि?
ऐसे की गई शुद्धि
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के अनुसार, भगवान वेंकटेश्वर को मिलावटी घी से बने प्रसाद और लड्डू चढ़ाने से गलती हो गई। इसके प्रायश्चित के लिए, टीटीडी ने शुद्धिकरण अनुष्ठान के रूप में महाशांति यज्ञ किया। तिरुपति मंदिर के लड्डू और अन्नप्रसादम रसोई घर के साथ-साथ पूरे तिरुपति मंदिर के परिसर पवित्र को शुद्ध किया गया। इसके लिए 'पंचगव्य' का उपयोग किया गया। इस अनुष्ठान में आठ अर्चक (पुजारी) और तीन आगम सलाहकारों ने भाग लिया। इस अनुष्ठान का उद्देश्य गलती को सुधारना और मंदिर की पवित्रता को बनाए रखना था।
पंचगव्य क्या है?
पंचगव्य हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र वस्तु है, जो गाय से प्राप्त पांच पदार्थों का समूह है। इन पांच पदार्थों को मिलाकर बना मिश्रण पंचगव्य कहलाता है। आयुर्वेद में पंचगव्य को औषधि की मान्यता है। मान्यता है कि जब गाय से प्राप्त पांच पदार्थों को गंगाजल के साथ मिश्रित किया जाता है, तो उसे धार्मिक ग्रंथों में से ‘अमृत विकल्प’ कहा गया है।
ये भी पढ़ें: Palmistry: अपने हाथ की जीवन रेखा देखकर जानें ये 7 बातें, जानें क्या कहती है आपकी लाइफ लाइन!
हिंदू धर्म में पंचगव्य का महत्व
हिंदू धर्म में प्रत्येक मांगलिक कार्य में पंचगव्य का अनिवार्य रूप से उपयोग होता है, अन्यथा मांगलिक कार्य पूरे नहीं होते हैं। गृह शुद्धि से लेकर शरीर शुद्धि तक पंचगव्य का प्रयोग किया जाता है। आइए जानते हैं, पंचगव्य के इन पांच चीजों का महत्व:
गाय का दूध: पोषण से भरपूर गाय के दूध को हिंदू धर्म में अमृत के समान माना गया है।
दही: दधि या दही के बेहद पवित्र होने के कारण ईश्वर की प्रतिमा और शिवलिंग के अभिषेक में इसका इस्तेमाल होता है। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक माना होता है।
घी: हिंदू धर्म में घी को अत्यंत पवित्र माना गया है। यही कारण है यज्ञ, हवन और पंचामृत में घी का उपयोग किया जाता है।
गोबर: गाय के गोबर को शुद्ध करने वाला माना जाता है। आज भी हिंदू घरों में गोबर से लिपाई के बाद पूजा स्थान को शुद्ध माना जाता है। विष्णु पूजा में शालिग्राम के साथ गोबर रखना आवश्यक है।
गोमूत्र: गोमूत्र को गंगाजल के समान पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि घर पर इसका छिड़काव अनिष्ट को दूर रखता है। सदियों से इसे रोगनाशक माना गया है।
हिंदू धर्म में गाय का महत्व
हिंदू धर्म में गाय को मां का दर्जा दिया गया है। मान्यता है कि गाय के शरीर के हर अणु में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। इसके अंगों में 14 पौराणिक लोक विद्यमान हैं। इसकी पूजा से मनुष्य मात्रको अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। गाय की सांसों में पवित्र सरोवर हैं। इसके पांच उत्पाद या पदार्थ पंचगव्य के रूप में मनुष्य को वरदान में रूप में प्राप्त हुआ।
आयुर्वेद में पंचगव्य का उपयोग
आयुर्वेद में पंचगव्य को ‘महौषधि’ यानी महान औषधि कहा गया है, जिसका ज्वर, पीड़ा, बांझपन, शुक्रनाश आदि में उपचार में उपयोग किया जाता है। पंचगव्य के उपयोग से रोग दूर करने की आयुर्वेद पद्धति को आजकल 'काउपैथी' कहते हैं।
ये भी पढ़ें: Sharad Purnima 2024: चांद की रोशनी में क्यों रखते हैं खीर? जानें महत्व और नियम
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।