whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.
Advertisement

Papankusha Ekadashi Vrat Katha: ये पौराणिक कथा सुने बिना अधूरा है पापांकुशा एकादशी का व्रत, जानें महत्व

Papankusha Ekadashi Vrat Katha: पापों से मुक्ति पाने के लिए हर साल भगावन विष्णु के भक्त पापांकुशा एकादशी का व्रत रखते हैं। रीति-रिवाजों के अनुसार, इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ उपवास की पौराणिक कथा पढ़ी और सुनी भी जाती है। आइए जानते हैं पापांकुशा एकादशी व्रत की असली कथा क्या है।
10:46 AM Sep 26, 2024 IST | Nidhi Jain
papankusha ekadashi vrat katha  ये पौराणिक कथा सुने बिना अधूरा है पापांकुशा एकादशी का व्रत  जानें महत्व
पापांकुशा एकादशी व्रत की असली कथा

Papankusha Ekadashi Vrat Katha: सनातन धर्म के लोगों के लिए भगवान विष्णु को समर्पित पापांकुशा एकादशी के व्रत का खास महत्व है। ये दिन मनोकामना पूर्ति और पापों से मुक्ति पाने के लिए जाना जाता है। हर वर्ष आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के एक दिन बाद पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जाता है। सूर्योदय की तिथि के मुताबिक, 13 अक्टूबर 2024 को पापांकुशा एकादशी का व्रत रखना शुभ होगा। जबकि वैष्णव समाज के अनुयायी आश्विन माह में आने वाली एकादशी तिथि के अगले दिन ये व्रत रखते हैं, जिसकी सही डेट 14 अक्टूबर 2024 है। इस दिन पूजा का विजय मुहूर्त दोपहर में 02:02 मिनट से लेकर 02:49 मिनट तक है।

Advertisement

पापांकुशा एकादशी के दिन व्रत की पौराणिक कथा पढ़ी और सुनी जाती है, वरना पूजा को अधूरा माना जाता है। चलिए विस्तार से जानते हैं पापांकुशा एकादशी व्रत की असली कथा के बारे में।

ये भी पढ़ें- Chandra Mangal Yuti: चंद्र-मंगल की युति से इन 3 राशियों पर होगी पैसों की बारिश, सफलता चूमेगी कदम!

Advertisement

पापांकुशा एकादशी व्रत की कथा

प्राचीन समय में क्रोधन नामक एक शिकारी था, जो विंध्य पर्वत पर रहता था। उसने जीवनभर पाप किए थे, लेकिन जैसे-जैसे उसकी मृत्यु का समय करीब आ रहा था। वो डरने लगा। एक दिन वो महर्षि अंगिरा के आश्रम गया। वहां जाकर उसने महर्षि अंगिरा से कहा, 'हे ऋषिवर, मैंने जीवनभर पाप कर्म किए हैं। कृपा मुझे कोई उपाय बताइए, जिससे मुझे अपने पापों से मुक्ति मिल सके और मोक्ष की प्राप्ति हो सके।'

महर्षि अंगिरा ने क्रोधन को पापांकुशा एकादशी का व्रत करने को कहा। इसी के साथ उन्होंने व्रत के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा, 'पापांकुशा एकादशी को पापों का नाश करने वाली एकादशी कहा जाता है। इस दिन जो साधक सच्चे मन और विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसे मनोवांछित फल मिलता है। साथ ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है।'

Advertisement

इसी के आगे महर्षि ने कहा, 'मनुष्य को कई साल तक कठोर तपस्या करने के बाद जो फल मिलता है, वो फल उसे विष्णु जी को नमस्कार करने से प्राप्त हो जाता है। जो लोग अज्ञानवश पापों के लिए हरि से माफी मांगते हैं, वो नरक नहीं जाते हैं। विष्णु जी के नाम जाप से संसार के सब तीर्थों के पुण्य का फल मिलता है। जो साधक भगवान विष्णु की शरण में होता है, उसे कभी भी यम यातना का सामना नहीं करना पड़ता है। इसलिए इस एकादशी के बराबर कोई व्रत नहीं है। माना जाता है कि जब तक व्यक्ति पापांकुशा एकादशी का व्रत नहीं करता है, तब तक उसकी देह में पाप वास करता है।'

महर्षि अंगिरा के कहने पर क्रोधन ने श्रद्धा भाव से ये व्रत करा, जिसके प्रभाव से उसे अपने सभी पापों से छुटकारा मिल गया। इसी के बाद से पापांकुशा एकादशी व्रत रखने की परंपरा चली आ रही है।

ये भी पढ़ें- Papankusha Ekadashi 2024: 13 या 14 अक्टूबर, कब है पापांकुशा एकादशी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App Tags :
Advertisement
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो