whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.
Advertisement

Pitru Paksha 2024: गया में पिंडदान करने का है खास महत्व, जानें क्या कहता है गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण और वैवर्त पुराण?

Pitru Paksha 2024: आखिर कैसे होगा पितृ पक्ष में 7 पीढ़ियों का उद्धार? क्या है गया में पिंडदान करने का महत्व? जानें गया की पौराणिक कथा...
08:38 PM Sep 11, 2024 IST | News24 हिंदी
pitru paksha 2024  गया में पिंडदान करने का है खास महत्व  जानें क्या कहता है गरुड़ पुराण  विष्णु पुराण और वैवर्त पुराण
पितृ पक्ष गया पिंड दान

Pitru Paksha 2024 Gaya Pind Daan: हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद मृतक के पुत्र या किसी परिवार के लोगों द्वारा पिंड़दान देने का नियम है। वैसे तो मृतक के नाम से किसी भी धार्मिक या पवित्र जगहों पर पिंडदान, तर्पण या श्राद्धकर्म किया जा सकता है लेकिन हिन्दू शास्त्रों में गया को इन सब कर्मो के लिए सबसे उत्तम स्थान दिया गया है। गया में पिंडदान करने का खास महत्व है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

Advertisement

गया में पिंडदान का क्या महत्व है?

मान्यता है कि पितृ पक्ष में गया जाकर पिंडदान करने से 7 पीढ़ियों का उद्धार होता है। साथ ही पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। ये स्थान मोक्ष स्थली भी कहलाता है। गया में पिंडदान करने के बाद व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्त हो जाता है यानी कुछ भी शेष नहीं रह जाता है। इसकी महत्व का पता इस कथा से भी चलता है कि फल्गु नदी के तट पर ही भगवान राम राजा दशरथ की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए गया में ही श्राद्ध कर्म और पिंडदान किया था।

धर्मग्रंथों में मिलता है इस तीर्थ का जिक्र

गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण और वैवर्त पुराण में बताया गया है कि गया जैसे तीर्थ पर पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए गया को मोक्ष स्थली भी कहा जाता है। पितृपक्ष के दौरान हर साल गया में एक मेला लगता है, जिसे पितृपक्ष का मेला (Pitru Paksha Fair) के नाम से जाना जाता है।

Advertisement

ये भी पढ़ें- Garuda Purana: मरने से ठीक एक घंटे पहले क्या-क्या दिखता है?

Advertisement

गया की पौराणिक कथा

पौराणिक काल में गयासुर नामक एक असुर हुआ करता था। उसने ब्रह्म देव की घोर तपस्या की और उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी प्रकट हुए तो गयासुर ने वरदान मांगा कि उसका शरीर पवित्र हो जाए और लोग उसके दर्शन मात्र से ही पाप मुक्त हो जाएं। वरदान मिलने के बाद लोग पाप करने लगे। बड़े से बड़ा पाप करने के बाद लोग गयासुर के दर्शन करते और पाप मुक्त हो जाते जिसकी वजह से स्वर्ग और नरक का संतुलन बिगड़ने लगा। गयासुर के दर्शन करके सभी पापी भी स्वर्ग पहुंचने लगे।

ये देख सभी देवतागण गयासुर के पास गया आए और यज्ञ के लिए पवित्र स्थान की मांग की। तब गयासुर ने यज्ञ के लिए अपना शरीर देते हुए देवताओं से कहा कि आप मेरे ऊपर ही यज्ञ करें। गयासुर के कहने पर देवताओं ने उसे लेटने को कहा। फिर जब गयासुर लेटा तो उसका शरीर पांच कोस में फैल गया और यज्ञ संपन्न होने के बाद ये पांच कोष का क्षेत्र गया बन गया।

ये भी पढ़ें- Pitru Paksha में इस काम से तृप्त होते हैं पितर, जानें श्राद्ध का महत्व

गया में भगवान विष्णु गंगाधर के रूप में विराजमान हैं। गयासुर के विशुद्ध शरीर में ब्रह्मा, जनार्दन, शिव तथा प्रपितामह निवास करते हैं। इसलिए पिंडदान व श्राद्ध कर्म के लिए इस स्थान को उत्तम माना गया है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App Tags :
Advertisement
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो