पूजा करने का सही तरीका क्या है... खड़े होकर या बैठकर, जानें क्या कहता है शास्त्र?
Puja Path Ke Niyam: हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ, यज्ञ, अनुष्ठान आदि का विशेष महत्व है। पूजा आस्था और विश्वास का विषय है। यह अपनी-अपनी श्रद्धा, सामर्थ्य और ज्ञान के अनुसार भी किए जाते हैं। लेकिन, धार्मिक शास्त्रों में इनसे संबंधित विस्तृत विधि-विधान बताए हैं। वहीं, जाने-अनजाने पूजा में कुछ भूल चूक भी हो जाती है। पूजा पाठ के नियमों से संबंधित एक प्रसिद्ध पुस्तक 'नित्यकर्म पूजा प्रकाश' में इसके लिए क्षमा-याचना के भी नियम बताए गए हैं। आइए जानते हैं, खड़े होकर या बैठकर पूजा करने में कौन-सा तरीका सही है या दोनों सही है और इसे लेकर शास्त्र की मान्यता क्या है? बता दें, पूजा का सही फल तभी मिलता है, जब इसे सही विधि-विधान से किया जाए।
धर्म शास्त्रों के अनुसार, घर में जब भी पूजा करें तो यह बैठकर करनी चाहिए। इसके लिए उचित आसन का चुनाव भी बहुत जरूरी है। ऊन से बने आसन सबसे अच्छे माने गए हैं। घर में की जाने वाली पूजा कभी भी खड़े होकर नहीं करनी चाहिए, अन्यथा पूजा का फल नहीं मिलता है।
मंदिर एक विशेष उपासना स्थल है। यहां खड़े होकर और बैठकर दोनों तरह से पूजा किया जाता है। यह भगवान का दरबार होता है, जहां सभी सेवक होते हैं। मंदिर में भगवान का दर्शन खड़े होकर करना चाहिए, वहीं जाप या हवन बैठकर करने का नियम है।
धार्मिक नियमों के मुताबिक विष्णु भगवान की पूजा खड़े होकर करना शुभ माना गया है। भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देते समय भी सूर्य की ओर मुख करके खड़े होकर पूजा करना चाहिए।
शक्ति पूजा यानी देवी दुर्गा, काली आदि देवियों की पूजा भी खड़े होकर ही करना उचित माना गया है। हनुमानजी और भगवान गणेश की पूजा भी खड़े होकर करना शुभ होता है।
भगवान शिव सभी नियमों से परे हैं। शिवलिंग की पूजा बैठ करनी चाहिए, जबकि उनकी प्रतिमा की पूजा खड़े होकर या बैठकर भी की जा सकती है। वहीं, धन की देवी लक्ष्मी की पूजा बैठकर करना शुभ माना गया है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।