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Radha Kund Snan 2024: वृंदावन में क्यों किया जाता है राधा कुंड स्नान? जानें मान्यता और पौराणिक कथा

Radha Kund Snan 2024: राधा रानी के भक्तों के लिए राधा कुंड में स्नान करने का खास महत्व है। चलिए जानते हैं 2024 में राधा कुंड स्नान की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और कुंड से जुड़ी कथा के बारे में।
02:23 PM Oct 23, 2024 IST | Nidhi Jain
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राधा कुंड स्नान का महत्व

Radha Kund Snan 2024: सनातन धर्म के लोगों के लिए राधा रानी और श्री कृष्ण की पूजा का खास महत्व है। मान्यता है कि जो लोग मां राधा और श्री कृष्ण की नियमित रूप से उपासना करते हैं, उनके जीवन में सदा खुशहाली बनी रहती है। इसी के साथ वैवाहिक जीवन में भी शांति रहती है। राधा रानी और श्री कृष्ण का आशीर्वाद पाने के लिए हर साल बड़ी संख्या में भक्तजन राधा कुंड में आस्था की डुबकी लगाते हैं।

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उत्तर प्रदेश के मथुरा में गोवर्धन परिक्रमा मार्ग से लगभग 27 किलोमीटर दूर राधा रानी को समर्पित राधा कुंड है, जिसमें स्नान करने से प्रत्येक व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि शादीशुदा जोड़े यदि राधा कुंड में डुबकी लगाते हैं, तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। इसके अलावा वैवाहिक जीवन में भी खुशहाली बनी रहती है। चलिए जानते हैं इस बार किस दिन राधा कुंड स्नान में आस्था की डुबकी लगाई जाएगी।

2024 में राधा कुंड स्नान कब है?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 24 अक्टूबर को प्रात: काल 01 बजकर 18 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन 25 अक्टूबर 2024 को सुबह 01 बजकर 58 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर 24 अक्टूबर 2024, दिन बृहस्पतिवार को राधा कुंड में स्नान किया जाएगा।

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स्नान करने का शुभ मुहूर्त क्या है?

24 अक्टूबर को अहोई अष्टमी का भी व्रत रखा जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, राधा कुंड में स्नान रात 12 बजे के बाद किया जाता है। 24 अक्टूबर 2024 को अर्ध रात्रि में स्नान करने का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 38 मिनट से लेकर अगले दिन 25 अक्टूबर 2024 को प्रात: काल 12 बजकर 29 मिनट तक है।

राधा कुंड से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान कृष्ण अपने कुछ मित्रों के साथ गोवर्धन पर्वत के पास गौ माता को चारा खिला रहे थे। उसी समय अरिष्टासुर नामक राक्षस ने गाय का रूप धारण करके कृष्ण जी के ऊपर हमला करने का प्रयास किया। लेकिन श्री कृष्ण ने अरिष्टासुर राक्षस को पहचान लिया और उसी समय उसका वध कर दिया।

अरिष्टासुर राक्षस ने गाय का रूप धारण करके श्री कृष्ण पर हमला किया था। इसलिए श्री कृष्ण को गौ हत्या का पाप लगा। पाप का प्रायश्चित करने के लिए श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत के पास अपनी बांसुरी से एक कुंड का निर्माण किया और उसमें स्नान भी किया। जिस स्थान पर श्री कृष्ण ने कुंड का निर्माण किया था। ठीक उसी के पास राधा जी ने भी अपने कंगन से एक कुंड बनाकर उसमें स्नान किया, जिसे अब राधा कुंड के नाम से जाना जाता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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