होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

Radhashtami 2024: राधा रानी को राधाष्टमी पर इन 5 चीजों से लगाएं भोग, शीघ्र प्रसन्न होकर देंगी मनचाहा वरदान

Radhashtami 2024: हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण और उनकी संगिनी राधा रानी जी का जन्म भादो महीने में हुआ है। अब जन्माष्टमी और कृष्ण छठी के बाद उनके भक्तों को राधाष्टमी का इंतजार है। आइए जानते हैं, राधाष्टमी कब और इस मौके पर राधा जी को कौन-सा 5 भोग लगाने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं?
01:44 PM Sep 02, 2024 IST | Shyam Nandan
Advertisement

Radhashtami 2024 Date: राधा और कृष्ण का प्रेम हिन्दू धर्म और संस्कृति में प्रेम का सर्वोच्च प्रतीक माना गया है। कहा जाता है राधा के बिना भगवान कृष्ण अधूरे हैं। कृष्ण भक्त राधा रानी के बिना श्रीकृष्ण की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। इन्हीं राधा रानी का जन्म भगवान श्रीकृष्ण के जन्म और उनकी छठी मनाने के बाद भादो महीने में ही लगभग 15 दिनों के बाद होता है। राधा रानी के जन्मदिन को राधाष्टमी और राधा जयंती भी कहते हैं। आइए जानते हैं, राधाष्टमी पर राधा को कौन-सा 5 भोग लगाने से शीघ्र प्रसन्न होती हैं?

Advertisement

बरसाने वाली राधे का जन्म

भगवान श्रीकृष्ण की संगिनी राधा जी को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। कहते हैं, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म लेने के बाद जब देवी लक्ष्मी को वैकुंठ लोक बिना विष्णु जी के खाली-खाली लगने लगा तो उन्होंने वृंदावन की धरती पर अवतार लिया। वे बरसाना के वृषभानु जी की पुत्री के रूप में जन्मीं। इसलिए उनको वृषभानु कुमारी भी कहते हैं। पद्म पुराण में उनकी माता का नाम कीर्ति बताया गया है।

कब हुआ राधा जी जन्म?

धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म भादो कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आधी रात में हुआ था। वहीं भगवान कृष्ण की सहचरी राधा जी का जन्म भादो शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दिन में दोपहर को हुआ था, जिसे राधाष्टमी कहते हैं। हिन्दू धर्म में राधाष्टमी को राधा जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल राधाष्टमी सितंबर माह में 11 तारीख को मनाई जाएगी।

ये भी पढ़ें: राधारानी के 28 खास नाम…प्रेमानंद महाराज ने बताया ‘मंत्रों का महामंत्र’; जाप से होती है हर कामना की पूर्ति

Advertisement

राधाष्टमी 2024 शुभ मुहूर्त

पूजा का शुभ मुहूर्त: जहां तक राधाष्टमी पर राधा जी के जन्मपूजा के शुभ मुहूर्त की बात है, यह पूजा 11 सितंबर की दोपहर में साधकों और भक्तों को पूजा के लिए 2 घंटे 29 मिनट की शुभ अवधि मिल रही है। यह शुभ मुहूर्त 11 बजकर 3 मिनट से लेकर 01 बजकर 32 मिनट तक है।

राधा जी के संग भगवान मुरलीधर | फोटो साभार: Gemini Imagen 3

राधा रानी को इन 5 भोग से करें प्रसन्न

राधाष्टमी के दिन राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में कई प्रकार के विशेष भोग लगाए जाते हैं। यहां 5 ऐसे भोग और प्रसाद की बारे में बताया गया है, जो उन्हें भगवान बांके बिहारी के बाद सबसे प्रिय हैं।

दही अरबी की सब्जी: यह ब्रज का पारंपरिक नमकीन व्यंजन है, जिसका भोग राधाष्टमी के दिन राधा जी को लगाया जाता है। कहते हैं, यह पकवान न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि आध्यात्मिक महत्व भी रखता है।

पंचामृत: पंचामृत भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय भोग होने कारण राधा जी का भी प्रिय है, जो दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल को मिलाकर बनाया है। यह भगवान कृष्ण और राधारानी दोनों को अर्पित किया जाता है।

पान का बीड़ा: राधाष्टमी के मौके पर राधा रानी को पान के बीड़े जरूर चढ़ाए जाते हैं। कहते हैं कि पान के बीड़े भगवान श्रीकृष्ण को बहुत पसंद होने के कारण यह राधा जी का भी प्रिय भोग है।

मालपुआ: राधा अष्टमी के दिन राधा रानी को मालपुए का भोग अवश्य लगाना चाहिए, क्योंकि उनको मालपुए काफी पसंद हैं। कहा जाता है कि राधारानी के बनाए मालपुए भगवान श्रीकृष्ण को भी बहुत पसंद थे।

रबड़ी: राधा जी को रबड़ी का भोग बेहद पसंद है। मान्यता है कि इस भोग को प्यार और श्रद्धा के साथ चढ़ाने से राधा जी सहित भगवान श्रीकृष्ण भी शीघ्र प्रसन्न होते है।

इस दिन आप चाहें तो इस दिन राधा रानी जी और भगवान श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री, मोहनभोग, मौसमी फल आदि का भोग लगा सकते हैं। बता दें कि कृष्ण छठी के दिन भगवान लड्डू गोपाल को कढ़ी चावल का भोग लगता है।

ये भी पढ़ें: Numerology: इन 4 तारीखों में जन्मे लोग रोमांस करने में होते हैं अव्वल, इनमें कहीं आप भी तो नहीं!

राधाष्टमी पर ऐसे करें राधा जी की पूजा

कृष्ण भक्ति और वैष्णव संप्रदाय में राधा नाम के उच्चारण मात्र को सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना जाता है। राधा नाम की स्तुति से धनार्थी यानी धन चाहने वाले को धन, मोक्षार्थी यानी मोक्ष चाहने वाले मोक्ष, विद्यार्थी को विद्या और ज्ञानार्थी को ज्ञान की प्राप्ति होती है। राधाष्टमी के दिन राधा जी की पूजा से व्यक्ति पर देवी राधा और भगवान श्रीकृष्ण की विशेष बनी रहती है।

यदि आप राधाष्टमी का व्रत रख रहे हैं, तो अगले दिन राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा कर आप पारण करें। इस दिन आप चाहें तो राधा रानी जी और भगवान श्रीकृष्ण मालपुआ, रबड़ी, माखन-मिश्री, मोहनभोग आदि का भोग लगा सकते हैं।

ये भी पढ़ें: Pitru Paksha 2024: भगवान राम और कर्ण से जुड़ी है पितृपक्ष की कथा, जानें क्या है पिंडदान का महत्व!

 डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App
Advertisement
Tags :
Hindu DharmaParva TyoharRadhashtami
Advertisement
Advertisement