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Rathyatra 2024: रथयात्रा पर बन रहे हैं ये महासंयोग, विशेष काढ़ा पीकर स्वस्थ हुए भगवान जगन्नाथ

Rathyatra 2024: महाप्रभु भगवान जगन्नाथ के स्वस्थ होने के बाद रथयात्रा की शुरुआत 7 जुलाई से शुरू होगी। आइए जानते हैं, रथयात्रा कब से कब तक है और इस साल क्या विशेष संयोग बन रहे हैं?
09:41 AM Jul 05, 2024 IST | Shyam Nandan
rathyatra 2024  रथयात्रा पर बन रहे हैं ये महासंयोग  विशेष काढ़ा पीकर स्वस्थ हुए भगवान जगन्नाथ

Rathyatra 2024: जून माह में 22 तारीख को देवस्नान पूर्णिमा के अवसर पर शीतल जल से स्नान के बाद बाद बीमार पड़े महाप्रभु जगन्नाथ स्वस्थ हो चुके हैं। स्नान पूर्णिमा के बाद भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र को तेज बुखार आ गया था। इसलिए विशेष उपचार के लिए उन्हें ‘अणसर भवन’ में रखा गया था।

विशेष काढ़े से हुआ उपचार

ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ सहित देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र को 108 घड़े के शीतल जल से स्नान करवाया गया था। जल की शीतलता से महाप्रभु बीमार होकर तेज बुखार से तप रहे थे, जिसका इलाज जड़ी-बूटियों से निर्मित विशेष काढ़े से किया गया। शरीर का तापमान करने लिए दिन में तीन बार औषधियां दी गईं। इतना ही नहीं बल्कि खास औषधियों से बने तेल से उनकी मालिश भी की गई।

कब से कब तक है रथयात्रा?

महाप्रभु जगन्नाथ के स्वस्थ होने के बाद ओडिशा स्थित पुरी के जगन्नाथ मंदिर में आयोजित होने वाली विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा की तैयारी अंतिम चरण में है। प्रचलित परंपरा और हिन्दू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को 10 दिवसीय रथयात्रा की शुरूआत होती है। साल 2024 में यह 7 जुलाई को आरम्भ होगी, जो 17 जुलाई को समाप्त होगी। इस दौरान भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र तीन रथों पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे।

रथ यात्रा में सबसे आगे भगवान बलभद्र चलते हैं, जिनके रथ को 'ताल ध्वज' कहते हैं। भगवान बलभद्र के पीछे 'दर्पदलन ध्वज' नामक रथ होता है, जिस पर देवी सुभद्रा सवार होती हैं और सबसे अंत में 'नंदीघोष ध्वज' नामक रथ पर महाप्रभु भगवान जगन्नाथ सबसे पीछे चलते हैं।

53 सालों बाद बना महासंयोग

साल 2024 में रथयात्रा पूरे दो दिन आयोजित होंगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की तिथियां घट गई हैं। इस कारण से महाप्रभु का नेत्र उत्सव और रथयात्रा एक ही दिन पड़ रहा है। तिथियों का ऐसा संयोग साल लगभग 53 साल पहले सन 1971 में बना था। बता दें, नेत्र उत्सव के दिन भगवान जगन्नाथ की आंखों में विशेष अंजन (काजल) लगाया जाता है, जो रथयात्रा शुरू होने से एक दिन पहले होता है। इस साल यह रस्म 7 जुलाई की सुबह में संपन्न होगी और शाम में रथयात्रा निकाली जाएगी।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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