Panch Kedar में ऐसा मंदिर, जहां होती है शिवलिंग की जगह भोलेनाथ के मुख की पूजा, जानें 'रुद्रनाथ' का रहस्य
Rudranath Temple: देशभर में कई ऐसे प्राचीन मंदिर हैं, जहां पहुंचना आसान नहीं होता है। भगवान भोलेनाथ के पंच केदार की यात्रा को भी बेहद कठिन माना जाता है। कहा जाता है कि पंच केदार की यात्रा केवल वो ही व्यक्ति कर पाता है, जिसके ऊपर शिव जी का आशीर्वाद होता है और उसके हौसले बुलंग होते हैं। केदारनाथ, मद्महेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर पंच केदार हैं, जिनकी मान्यता और महत्व दोनों अद्भुत है। आज हम आपको रुद्रनाथ मंदिर से जुड़ी खास बातों के बारे में बताएंगे।
खूबसूरत वादियों के बीच स्थित है मंदिर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रुद्रनाथ मंदिर तक पहुंचना बेहद मुश्किल है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले के पहाड़ों में स्थित है, जो समुद्र तल से कम से कम 2,290 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है। मंदिर के आसपास बुरांस के जंगल, गहरी खाई और बड़ी-बड़ी घास हैं। रुद्रनाथ मंदिर खूबसूरत वादियों के बीचों-बीच है, जिसके दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं।
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यहां होती है शिव जी के मुख की पूजा
रुद्रनाथ मंदिर में भगवान शिव के मुख की उपासना की जाती है। जबकि शिवजी के पूरे शरीर की आराधना नेपाल के काठमांडू में मौजूद पशुपतिनाथ मंदिर में होती है। रुद्रनाथ मंदिर में सुबह-शाम आरती भी की जाती है। यहां पर सुबह 8 बजे और शाम 6.30 बजे आरती होती है।
मंदिर के आसपास कई कुंड भी हैं, जिन्हें सूर्य कुंड, तारा कुंड, मानस कुंड और चंद्र कुंड नाम से जाना जाता है। हर साल सावन माह में बाबा के दर्शन करने के लिए यहां पर बड़ी संख्या में भक्तजन पहुंचते हैं। हालांकि मंदिर तक पहुंचने के लिए 19 किमी पैदल यात्रा, गहरी खाई और घने जंगलों का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से कई लोग बीच में ही अपनी यात्रा को छोड़ देते हैं।
रुद्रनाथ मंदिर तक कैसे पहुंच सकते हैं?
रुद्रनाथ मंदिर के सबसे नजदीकी देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। जो ऋषिकेश से कम से कम 241 किमी दूर है। यहां से आप गोपेश्वर तक बस या टैक्सी ले सकते हैं। जहां से आपको करीब 19 किमी पैदल यात्रा करनी होगी।
रुद्रनाथ मंदिर तक पहुंचने में कम से कम 3 से 4 दिन लगते हैं। रुद्रनाथ मंदिर में शिव जी के दर्शन करने के लिए मार्च माह से लेकर मई और अक्टूबर से नवंबर के बीच का समय सबसे अच्छा है। अन्य समय यहां पर भीषण बर्फबारी और ओले पड़ते हैं, जिसकी वजह से चढ़ाई नहीं की जाती है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।