डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
शिवलिंग का जल ग्रहण करना चाहिए या नहीं, कब जल नहीं चढाएं, जानें क्या कहता है शास्त्र?
Shivling Puja Niyam: भगवान शिव हिन्दू धर्म में सबसे पूजित देवों में से एक हैं। वे संसार के संहारक होते हुए भी बेहद कल्याणकारी है। अन्य देवताओं की तुलना में वे अपने भक्तों की पूजा और सेवा से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं, इसलिए उनको 'आशुतोष' कहा गया है। उनकी पूजा मूर्ति और शिवलिंग दोनों रूपों में होती हैं, लेकिन उनके शिवलिंग पूजा के नियम उनकी मूर्ति पूजा से भिन्न है। आइए जानते हैं, शिवलिंग पर कब जल नहीं चढ़ाना चाहिए और इस पर चढ़े जल को ग्रहण करना चाहिए या नहीं?
शिवलिंग पर कब नहीं चढ़ाएं जल?
अमावस्या की तिथि
प्रत्येक महीने की अमावस्या की तिथि को भगवान शिव के दिव्य रूप शिवलिंग पर जल अर्पित नहीं करना चाहिए। इस दिन चंद्रदेव के दर्शन नहीं होने के कारण भगवान शिव जल अर्घ्य को स्वीकार नहीं करते हैं, क्योंकि इस दिन को अंधकार का प्रतीक माना जाता है।
शाम का समय
शाम हो जाने के बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाने से लाभ नहीं होता है। पौराणिक मान्यता है कि शिवलिंग पूजा जल के अर्घ्य के लिए सूर्यदेव का साक्षी होना आवश्यक है। इसलिए शाम में उनके अस्त हो जाने के बाद शिवलिंग पर जल अर्घ्य करने से परहेज करना चाहिए।
शिवरात्रि के अगले दिन
प्रत्येक महीने की मासिक शिवरात्रि और साल की सबसे बड़ी शिवपूजा महाशिवरात्रि के बाद पूरे एक दिन यानी 24 घंटे तक जल अर्पित नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि यह समय भगवान शिव के विश्राम का होता है।
श्राद्ध और तर्पण के समय
मान्यता है कि पितरों के पिंडदान के समय यानी उनके श्राद्ध और तर्पण के समय भगवान शिव के शिवलिंग पर जल का अर्घ्य नहीं देना चाहिए। हिन्दू धर्म की मान्यता के मुताबिक श्राद्ध के दिनों में अन्य देवताओं पर भी जल अर्पित करने की मनाही होती है।
शिवलिंग का जल ग्रहण करें या नहीं?
शिवलिंग पर चढ़े जल को लेकर अक्सर भक्त और श्रद्धालु दुविधा में रहते हैं कि इस पर अर्पित जल ग्रहण करें या नहीं? आइए जानते हैं, इसे लेकर शास्त्र क्या कहता है? शिव पुराण के अनुसार, शिवलिंग पर चढ़ा जल औषधि की तरह लाभकारी है। शिवलिंग के स्पर्श और बेलपत्रों-पुष्पों के असर से इस जल को ग्रहण करने से सभी रोग और शोक दूर हो जाते हैं। शिव पुराण के 22वें अध्याय के 18 श्लोक के मुताबिक, शिवलिंग पर अर्पित जल चरणामृत के समान लाभकारी होता है। इस जल का वितरण प्रसाद के रूप में भी किया जा सकता है।
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