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Bihari Temple: दूध के नहीं मिट्टी के पेड़े का लगता है भोग, आनंद से खाते हैं श्रीकृष्ण के भक्त

Shri Brahmand Bihari Temple: भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में एक ऐसा मंदिर है, जहां श्रीकृष्ण को मिट्टी के पेड़ों को भोग लगाया जाता है। आखिर क्यों इस मंदिर में मिट्टी के पेड़े चढ़ाए जाते हैं? आइए जानते हैं मथुरा में मौजूद श्रीकृष्ण के इसी मंदिर से जुड़ी विशेष मान्यता और रहस्यों के बारे में।
03:40 PM Sep 13, 2024 IST | Nidhi Jain
bihari temple  दूध के नहीं मिट्टी के पेड़े का लगता है भोग  आनंद से खाते हैं श्रीकृष्ण के भक्त
बाल स्वरूप से जुड़ी है मान्यता...

Shri Brahmand Bihari Temple: उत्तर प्रदेश में मौजूद मथुरा एक छोटा-सा शहर है, जिसे भगवान कृष्ण की जन्मस्थली माना जाता है। यहां पर श्रीकृष्ण को समर्पित कई मंदिर हैं, जिनकी अपनी मान्यता और खास महत्व है। यहां मौजूद हर एक मंदिर का अपना चमत्कार है, जो भक्तों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।

आज हम आपको मथुरा में मौजूद एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे श्रीकृष्ण के भक्तों की खास आस्था जुड़ी हुई है। इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि यहां पर दूध के नहीं बल्कि मिट्टी से बने पेड़ों का भोग श्रीकृष्ण को लगाया जाता है। चलिए जानते हैं आखिर क्यों इस मंदिर में मिट्टी के पेड़ों का भोग श्रीकृष्ण को लगाया जाता है।

यहां मां यशोदा को हुए थे ब्रह्मांड के दर्शन

मथुरा के जनपद महावन में गोकुल यमुना के समीप ब्रह्मांड घाट है। ब्रह्मांड घाट के पास श्रीकृष्ण को समर्पित ब्रह्मांड बिहारी का मंदिर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान कृष्ण ने मिट्टी खा ली थी। अपने बेटे को मिट्टी खाते देख मां योशादा विचलित हो गई और उन्होंने कृष्ण जी के मुंह के अंदर देखा। कृष्ण जी के मुंह में माता यशोदा को पूरे ब्रह्मांड के दर्शन हुए थे। इसी वजह से इस स्थान को ब्रह्मांड घाट कहा जाता है।

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भक्त चाव से खाते हैं मिट्टी के पेड़े

ब्रह्मांड बिहारी मंदिर वो ही जगह है, जहां पर भगवान कृष्ण ने मिट्टी खाई थी। इसलिए यहां पर उन्हें मिट्टी से बने पेड़ों का भोग लगाया जाता है। यहां आए भक्तों को प्रसाद के रूप में भी मिट्टी से बने पेड़े दिए जाते हैं, जिन्हें भक्त चाव से खाते हैं।

यमुना घाट से निकाली जाती है मिट्टी 

मथुरा में कन्हैया को ब्रह्मांड बिहारी के नाम से भी जाना जाता है। ब्रह्मांड घाट पर मिलने वाले पेड़ों को बनाने के लिए यमुना घाट से मिट्टी निकाली जाती है, जिसे पहले सुखाया जाता है। फिर मिट्टी को छानकर उसके पेड़े बनाए जाते हैं।

मिट्टी खाने की आदत छुड़ाएंगे ये पेड़े!

यदि किसी बच्चे को मिट्टी खाने की आदत है, तो वो यहां मंदिर में प्रसाद के रूप में मिलने वाले पेड़े खाता है, तो उसकी ये आदत छूट जाती है। इसके अलावा कुछ लोग भगवान के आशीर्वाद के रूप में भी मिट्टी के पेड़े खाते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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