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Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या पर करें भगवान शिव और चंद्रमा की विशेष पूजा, नए साल में होगी खूब बरकत!

Somvati Amavasya 2024: जब अमावस्या सोमवार को पड़ती है, तो वह बेहद खास दिन होता है, जिसका हिंदू धर्म में बहुत है। 30 दिसंबर 2024 को इस साल की आखिरी सोमवती अमावस्या है। इस दिन भगवान शिव और चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है। आइए जानते हैं, भगवान शिव और चंद्रमा की विशेष पूजा विधि।
12:25 PM Dec 30, 2024 IST | Shyam Nandan
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Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या एक विशेष अमावस्या है, जो तब आती है, जब अमावस्या सोमवार के दिन पड़ता है। तब यह तिथि और दिन हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है और धार्मिक दृष्टि से इसका विशेष महत्व है। इस अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान कर पापों से मुक्ति और आत्मा की शुद्धि की जाती है। इस दिन भगवान शिव, देवी पार्वती और चंद्रमा की पूजा विशेष रूप से की जाती है, क्योंकि सोमवार शिवजी और चंद्रमा का प्रिय दिन है। 2024 की अंतिम सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर 2024 को है। इस दिन अमावस्या और सोमवार का संयोग बन रहा है, जो इसे अत्यधिक शुभ बनाता है।

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पितरों का श्राद्ध और तर्पण

सोमवती अमावस्या पर पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान करने की परंपरा है। इसे पितृ दोष से मुक्ति के लिए शुभ माना जाता है। महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी आयु और परिवार की खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं। वट वृक्ष की पूजा का भी विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान और पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति और जीवन में शांति मिलती है।

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बेहद दुर्लभ है सोमवती अमावस्या

सोमवती अमावस्या एक दुर्लभ अमावस्या है, जो साल एक या दो बार ही पड़ता है या नहीं भी पड़ता है। कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडव पूरा जीवन सोमवती अमावस्या पर स्नान-दान लिए तरसते रहे थे, लेकिन वह कभी नहीं पड़ी। पंडितों और ज्योतिषियों के अनुसार, साल 2024 की अंतिम सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव और चंद्रमा विशेष पूजा से नए साल में खूब बरकत होगी।

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भगवान शिव की विशेष पूजा

सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव की विशेष पूजा विशेष रूप से सौभाग्य, समृद्धि और पितृ दोष से मुक्ति के लिए किए जाते हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा को अत्यंत फलदायी माना जाता है।

चंद्रदेव की विशेष पूजा

सोमवती अमावस्या चंद्रमा के लिए भी विशेष मानी जाती है, क्योंकि अमावस्या तिथि का संबंध चंद्रमा के अदृश्य यानी अमावस स्वरूप से होता है। चंद्रमा को मन, भावनाओं और मानसिक शांति का प्रतीक माना जाता है। इस दिन चंद्रदेव की पूजा मानसिक शांति, वैवाहिक जीवन की सुख-शांति और सौभाग्य को बढ़ाने के लिए की जाती है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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