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पकिस्तान के इस जलकुंड में मूर्छित हुए थे 4 पांडव, जानिए पकिस्तान के इस कुंड का रहस्य?

Katasraj Temple: कटासराज मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। भगवान शिव का यह मंदिर पकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर महाभारत काल से ही यहां पर स्थित है। पुराणों में बताया गया है कि यहां एक तालाब भी है जिसका निर्माण भगवान शिव के आंसुओं से हुआ। इसी तालाब का जल पीते समय पांडव भाई मूर्छित हो गए थे।
05:53 PM Sep 24, 2024 IST | Nishit Mishra
पकिस्तान के इस जलकुंड में मूर्छित हुए थे 4 पांडव  जानिए पकिस्तान के इस कुंड का रहस्य

Katasraj Temple: महाभारत में यक्ष-युधिष्ठिर प्रसंग का जिक्र मिलता है। ऐसा माना जाता है कि जिस तालाब के जल को पीकर 4 पांडव मूर्छित हो गए थे वह आज भी अस्तित्व में है। यह तालाब हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में आज भी मौजूद है। इस तालाब के किनारे भगवान शिव का मंदिर भी है। आइए जानते हैं भगवान शिव के आंसुओं से बने इस तालाब के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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पौराणिक कथा 

पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार एक समय में भगवान शिव और देवी सती कटासराज नाम के जगह पर निवास किया करते थे।  आज के समय में कटासराज पाकिस्तान में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि भगवान के मना करने पर भी जब देवी सती अपने पिता के यज्ञ में चली गई तो, वहां उनका बड़ा अपमान हुआ। अपने पति भगवान शिव का अपमान वह सहन नहीं कर सकी और अग्नि में कूदकर उन्होंने आत्मदाह कर लिया। उधर भगवान शिव को जब इस बात का पता चला तो वह दुखी हो गए और रोने लगे। भगवान शिव के आंसुओं से कटासराज में एक कुंड का निर्माण हो गया जिसे आज  कटाक्ष कुंड के नाम से जाना जाता है। इसी कुंड के चारों ओर भगवान शिव का मंदिर स्थित है जिसे कटासराज मंदिर के नाम से जाना जाता है।

महाभारत कथा 

महाभारत कथा के अनुसार जुए में अपना सब कुछ हारने के बाद, जब पांचों पांडव और द्रौपदी वन में अपना समय व्यतीत कर रहे थे तो, इस मंदिर के आस-पास भी वे लोग कुछ दिनों के लिए ठहरे थे। ऐसा कहा जाता है कि एक दिन जब द्रौपदी को प्यास लगी थी तो पांडव  कटाक्ष कुंड से ही जल लेने गए थे परन्तु उस समय इस कुंड पर यक्ष का अधिकार था। यक्ष के प्रश्नों का जवाब दिए बिना ही जब 4 पांडवों इस कुंड का जल पी लिया था तो वे मूर्छित हो गए थे। अंत में जब ज्येष्ठ पांडव युधिष्ठिर अपने भाइयों को खोजते हुए कुंड के पास आये तो उन्होंने भाइयों को मूर्छित देखा। जिसके बाद उन्होंने यक्ष के सभी प्रश्नो का जवाब कुशलतापूर्वक सही-सही दिया। युधिष्ठिर के उत्तरों को सुनकर यक्ष प्रसन्न हुए और उन्होंने चारों पांडव को जीवित कर दिया। भाइयों के जीवित होने बाद युधिष्ठिर सहित सभी भाइयों ने पानी पीया और द्रौपदी के लिए भी जल ले गए।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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