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Temples of India: खुद विश्वकर्मा ने बनाया था यह शिव मंदिर, भगवान श्रीराम ने की थी यहां पूजा

Temples of India: बिहार में एक ऐसा शिव मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां के शिवलिंग को त्रेता युग में स्थापित किया गया था। मनोकामना पूर्ति के लिए सावन में महीने में शिव भक्त 115 किलोमीटर दूर स्थित गंगा नदी से जल लेकर कांवड़ यात्रा करते हैं। आइए जानते हैं, बिहार में यह मंदिर कहां है और इसकी विशेषताएं क्या हैं?
10:25 AM Jun 24, 2024 IST | Shyam Nandan
temples of india  खुद विश्वकर्मा ने बनाया था यह शिव मंदिर  भगवान श्रीराम ने की थी यहां पूजा

Temples of India: भगवान शिव का प्रिय महीना सावन 22 जुलाई से शुरू होगा और इसका समापन 19 अगस्त, 2024 को होगा। इस बार सावन का महीना सोमवार से शुरू होगा और सोमवार से समाप्त होगा, जो अपने आप में एक विशेष संयोग है। मान्यता है कि इस पवित्र महीने में भगवान शिव की पूजा और आराधना से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए इस अवसर पर जानते हैं, देवाधिदेव भगवान शिव के एक विशेष मंदिर के बारे में जिसे देवशिल्पी विश्वकर्मा जी ने बनाया था और भगवान राम यहां पूजा की थी।

बिहार में यहां स्थित है यह मंदिर

भगवान शिव का यह विशेष मंदिर बिहार के औरंगाबाद जिले में देवकुंड नामक स्थान पर स्थित है। पुराणों के अनुसार, कभी यहां घना जंगल हुआ करता था और यहां च्यवन ऋषि का आश्रम था। उन्होंने यहां एक सरोवर की स्थापना की थी। कहते हैं, त्रेता युग में भगवान यहां आए थे और उन्होंने इस सरोवर में स्नान कर च्यवन ऋषि का आशीर्वाद लिया था।

भगवान राम ने स्थापित किया विशेष शिवलिंग

देवकुंड के इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को दूधेश्वरनाथ महादेव कहते हैं। मान्यता है कि यह शिवलिंग यहां त्रेता युग से स्थापित है। कहते हैं, च्यवन ऋषि के कहने पर भगवान राम ने शिवलिंग की स्थापना करके पूजा अर्चना की थी। यह शिवलिंग नीलम पत्थर से निर्मित है, जो दुर्लभ है। यह देश का इकलौता शिव मंदिर है, जहां नीलम शिवलिंग स्थापित है। कहते हैं, जो भक्त सच्चे से दूधेश्वर महादेव की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी हो जाती हैं।

एक ही रात में बनकर तैयार हुआ मंदिर

देवकुंड मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यह मंदिर एक ही रात में बनकर तैयार हुआ है, जिसे स्वयं देवताओं के वास्तुकार और देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने तैयार किया था। इसकी एक और विशेषता यह है कि यह विशाल मंदिर एक ही पत्थर को तराश कर बनाया गया है। केवल यही नहीं बल्कि औरंगाबाद जिले में ही स्थित देव नामक जगह पर स्थित सूर्य मंदिर का निर्माण भी एक ही रात में हुआ था।

सावन में कांवड़ यात्री करते हैं जलाभिषेक

इस मंदिर में हर महीने की दोनों त्रयोदशी यानी प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि के दिन विशेष पूजा की जाती है। साथ ही महाशिवरात्रि और सावन माह में यहां भक्तों की खास भीड़ उमड़ती है। सावन में कांवड़ यात्री बिहार की राजधानी पटना के पास बहती गंगा नदी का पवित्र जल कांवड़ से ढ़ोकर देवकुंड मंदिर के शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। यह दूरी लगभग 115 किलोमीटर पैदल है। यहां यह परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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