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Utpanna Ekadashi 2024: 25 या 26 नवंबर, कब है उत्पन्ना एकादशी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और श्री हरि की पूजा विधि

Utpanna Ekadashi 2024: उत्पन्ना एकादशी का व्रत हर साल मार्गशीर्ष माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। हालांकि इस बार एकादशी तिथि को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। चलिए जानते हैं साल 2024 में 25 नवंबर या 26 नवंबर, किस दिन उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखना शुभ रहेगा।
12:44 PM Nov 15, 2024 IST | Nidhi Jain
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Utpanna Ekadashi 2024: सनातन धर्म के लोगों के लिए उत्पन्ना एकादशी के दिन का खास महत्व है। ये दिन भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, माघ यानी मार्गशीर्ष माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन देवी एकादशी ने मुर नामक असुर का वध किया था। इसलिए इस तिथि को उत्पन्न एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि जो लोग उत्पन्ना एकादशी के दिन व्रत रखते हैं और सच्चे मन से देवी-देवताओं की उपासना करते हैं, उनके जीवन में सदा खुशहाली बनी रहती है। साथ ही साधक को पापों से भी मुक्ति मिलती है।

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चलिए जानते हैं साल 2024 में किस दिन उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इसी के साथ आपको उत्पन्ना एकादशी के दिन देवी-देवताओं की पूजा के शुभ मुहूर्त और श्री हरि की पूजा विधि के बारे में भी पता चलेगा।

2024 में कब है उत्पन्ना एकादशी?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 25 नवंबर को प्रात: काल 1 बजकर 1 मिनट से हो रही है, जिसका समापन अगले दिन 26 नवंबर को सुबह 3 बजकर 47 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर इस साल 26 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखना शुभ रहेगा। उत्पन्ना एकादशी व्रत का पारण 27 नवंबर 2024 को किया जाएगा। 27 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 33 मिनट से 3 बजकर 46 मिनट के बीच व्रत का पारण करना शुभ रहेगा।

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उत्पन्ना एकादशी की पूजा के शुभ मुहूर्त

  • सूर्योदय- सुबह 6:57
  • राहुकाल- दोपहर 2:44 से लेकर शाम 4:01 तक
  • अमृत काल- रात 09:46 से लेकर देर रात 11:34 तक
  • ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल 05:21 से लेकर सुबह 06:09 तक
  • अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:47 से लेकर दोपहर 12:29 तक

उत्पन्ना एकादशी की पूजा विधि

  • प्रात: काल जल्दी उठें।
  • स्नान आदि कार्य करने के बाद शुद्ध पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
  • विष्णु जी और मां लक्ष्मी की पूजा करें।
  • देवी-देवताओं को फल, पीला चंदन और पीले फूल अर्पित करें।
  • व्रत का संकल्प लें।
  • उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
  • अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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AstrologyUtpanna Ekadashi
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