भगवान शिव के श्राप से रातों-रात खाली हुआ गांव, जानें बिनसर महादेव मंदिर की रोचक कहानी
BINSAR MAHADEV TEMPLE History: उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है क्योंकि वहां पर ऐसी कई सारी घटनाएं होती हैं जो दिव्य होती हैं। वहां के मंदिरों के साथ अक्सर कोई न कोई पौराणिक कहानी (BINSAR MAHADEV TEMPLE History) जुड़ी होती है। आज हम एक ऐसे ही मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो रानीखेत से करीब 17 किलोमीटर दूर है। इस मंदिर का नाम है बिनसर महादेव मंदिर (BINSAR MAHADEV Story) जहां शिव भक्त आते हैं। इस मंदिर के आसपास का जो सीन है वो इतना सुंदर है कि वापस आने का मन ही नहीं करता। देवदार के पेड़ों के बीच बना ये मंदिर अपनी एक अलग ही कहानी लिए हुए है। चलिए फिर आपको भी इस मंदिर की पौराणिक कहानी बताते हैं जो वहां के महंत गोवर्धन गिरी महाराज ने खुद बताई है।
क्या है बिनसर महादेव मंदिर की कहानी
बिनसर महादेव मंदिर के श्री महंत गोवर्धन जी महाराज ने खुद इस बारे में बताया कि ये मंदिर एक शक्तिपीठ है। यहां पर शिवजी भगवान का शिव लिंग अपने आप प्रकट हुआ था। उन्होंने बताया कि वहां के सोनी गांव में किसी समय में चरवाह लोग रहते थे। उनकी गाय जंगल में चरने के लिए जाती थी। एक आदमी की गाय का दूध ही नहीं देती थी, जिससे वो परेशान हो गया और उसने गाय का पीछा किया। उसे लगा कि कोई जंगल में उसकी गाय का दूध निकाल लेता है।
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झाड़ी में दूध देती थी गाय
जब वो आदमी गाय के पीछे गया तो देखता है कि गाय एक झाड़ी में एक काले पत्थर के ऊपर दूध दे रही है। इस पर उसने गुस्से में आकर उस पत्थर पर कुल्हाड़ी से वार कर दिया जो साइड से थोड़ा टूट गया। दरअसल को कोई आम पत्थर नहीं बल्कि महादेव का शिव लिंग था। आज भी वो ऐसे ही मंदिर में स्थापित है जिसे शक्तिपीठ का दर्जा दिया गया है।
सपने में भगवान शिव ने दिया श्राप
भगवान शिव इस बात से बहुत क्रोधित हो गए और उन्होंने उस आदमी के सपने में आकर कहा कि ये गांव खाली कर दो। सारे लोग इस गांव को रातों रात खाली करके चले गए। अब उस गांव में पहाड़ी समुदाय के लोग रहते हैं जिनकी भगवान शिव में काफी आस्था है।
कैसे बना मंदिर
अब बारी आती है उस कहानी की जिसमें महंत जी ने बताया कि मंदिर कैसे बना। उन्होंने बताया कि गांव में एक ठाकुर रहते थे जिनकी कोई संतान नहीं थी। उसे भगवान भोलेनाथ ने सपने में दर्शन दिए और कहा कि मेरा एक छोटा सा मंदिर बना देना तुम्हारा अच्छा हो जाएगा। उसने मंदिर 100-200 साल पहले वहां एक छोटा सा मंदिर बनवाया, जो आज एक बड़ा और विशाल मंदिर बन गया है। इस मंदिर में जो भी आता है भगवान भोलेनाथ उसकी सारी मनोकामना पूरी करते हैं।
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