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वक्री शनि के कहर से मुक्ति दिलाता है यह रत्न, जानें धारण करने का दिन और तरीका
Vakri Shani: नवग्रहों में से सबसे कठोर ग्रह माने जाने वाले शनिदेव 30 जून, 2024 से वक्री हो चुके हैं। कर्मफल के स्वामी और न्याय के देवता शनिदेव की उल्टी चाल से कमोबेश सभी डरते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वक्री अवस्था में शनिदेव के फल देने की शक्ति में अनिश्चितता आ जाती है, जिसमें अशुभता अधिक और शुभता कम होती है। बता दें कि शनिदेव 139 दिन तक यानी 4 चार महीने 19 दिन तक उल्टी चाल चलेंगे। आइए जानते हैं, वक्री शनि का जीवन पर क्या असर होता है और किस रत्न को धारण करने शनि की उल्टी चाल का असर नहीं होता है या कम हो जाता है?
वक्री शनि का जीवन पर असर
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, वक्री शनि का सभी मनुष्य के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव, कम या अधिक, अवश्य पड़ता है। उन लोगों को शनि की उल्टी चाल का असर अधिक होता है, जिनकी कुंडली में शनि ग्रह कमजोर या अशुभ स्थिति में होते हैं।
व्यवसाय: वक्री शनि से असर से वाणिज्य और व्यापार में धन हानि की संभावना सबसे अधिक रहती है। अन्य बाधाएं जैसे कर्ज में वृद्धि, मंदी आदि भी आ सकती हैं।
नौकरी: रोजगार और नौकरी में कठिनाई और काम बोझ, काम की गति का धीमा होना, वेतन में कमी या अन्य नुकसान हो सकते हैं।
करियर: शिक्षा की गुणवत्ता में ह्रास, पढ़ाई से विरत होना यानी मन नहीं लगना, एग्जाम से डर लगना, फेल हो जाना आदि समस्याएं करियर को प्रभावित करती हैं।
धन: वक्री शनि के दुष्प्रभाव से धन की हानि, अप्रत्याशित खर्च, फिजूलखर्ची या कर्ज में बढ़ोतरी जैसे समस्याएं हो सकती हैं।
स्वास्थ्य: वक्री शनि स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा कर सकते हैं। पुरानी बीमारियों का बढ़ना, नई बीमारियां या दुर्घटनाएं हो सकती हैं।
मानसिक स्थिति: वक्री शनि मानसिक तनाव और चिंता पैदा करने के लिए प्रसिद्ध हैं। एकाग्रता में कमी, अनिद्रा या डिप्रेशन हो सकता है।
रिलेशनशिप: वक्री शनि रिलेशनशिप और लव लाइफ में समस्याएं पैदा कर सकते हैं। रिश्तों में गलतफहमियां, झगड़े या अलगाव की परिस्थितियां भी बन सकती हैं।
कौन-सा शनि रत्न धारण करें?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, वक्री शनि के प्रकोप से बचने के लिए रत्न धारण करना सबसे बढ़िया उपाय है। शनि ग्रह के लिए शास्त्रोक्त रत्नों को धारण करने से न केवल वक्री शनि के कहर से बच सकते हैं, बल्कि इसे पहनने से शनि की महादशा, साढ़ेसाती, ढैय्या आदि के असर से भी मुक्ति मिलती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नीलम रत्न शनि ग्रह का सबसे शक्तिशाली और प्रभावी रत्न है। इस रत्न को धारण करने से शनि के सभी दोष दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। कहते हैं, नीलम में दुर्भाग्य को दूर करने की जबरदस्त शक्ति होती है और इसे धारण करने से जीवन में तुरंत सफलता प्राप्त होती है।
किस दिन और कैसे धारण करें नीलम?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नीलम रत्न को केवल शनिवार को धारण करना चाहिए। इसे सूर्योदय के समय लगभग 6 बजे से पहले पहनना सबसे बढ़िया माना गया है। जहां तक धातु की बात है, तो इसे चांदी या श्वेत धातु में पहनना चाहिए। इसे केवल हाथ की मध्यमा यानी सबसे बड़ी उंगली में धारण किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह उंगली शनिदेव को समर्पित है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, नीलम रत्न धारण करते समय "ऊँ शं शनैश्चराय नमः" शनि मंत्र का जाप करना चाहिए। आपको बता दें, नीलम एक बेहद शक्तिशाली रत्न है, इसलिए इसे योग्य ज्योतिष के दिशा-निर्देश और सुझाव से पहनना सबसे उचित तरीका है।
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