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Vamana Jayanti 2024: धरती पर होता राक्षसों का राज, यदि विष्णु न लेते वामन अवतार, जानें रोचक कथा
Vamana Jayanti 2024: भगवान विष्णु के 10 प्रमुख अवतारों में से उनका वामन रूप में अवतार न केवल महत्वपूर्ण है बल्कि रोचक भी है। पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु ने अपना यह पांचवां अवतार भादो महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को लिया था। इसलिए इस तिथि को वामन द्वादशी भी कहते है और भगवान वामन की जयंती के रूप में मनाते हैं। इस साल भगवान वामन की जयंती 15 सितंबर को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं, हिन्दू धर्म वामन में अवतार का क्या महत्व है और भगवान विष्णु के इस अवतार से जुड़ी कथा क्या है?
क्या कहता है पुराण?
भागवत पुराण के अनुसार, वामन भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से 5वें अवतार वामन त्रेता युग में पहले अवतार थे। वामन अवतार भगवान विष्णु का मनुष्य रूप में पहला अवतार है। इस अवतार से पहले भगवान विष्णु के चार अवतार पशु रूप में थे। ये हैं: मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार और नरसिंह अवतार। पुराण के अनुसार, भगवान वामन ने भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष द्वादशी को अभिजित मुहूर्त में माता अदिति और कश्यप ऋषि के पुत्र के रूप में जन्म लिया था।
इसलिए हुआ वामन अवतार
एक बार दानवों और देवताओं के बीच हुए 12 वर्ष के भीषण युद्ध के बाद भगवान विष्णु के परमभक्त और बलशाली दैत्य राजा बलि ने इन्द्र देव को पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। भगवान विष्णु के भक्त और दानवीर राजा होने के बावजूद राजा बलि एक क्रूर और अभिमानी राक्षस था। अत्यंत पराक्रमी और अजेय बलि से स्वर्ग लोक, धरती और पाताल लोक तीनों लोक कांपते थे।
इंद्र ने भगवान विष्णु से मांगी सहायता
तीनों लोकों को जीतने के उपलक्ष्य में राजा बलि ने गुरु शुक्राचार्य के कहने पर विजय यज्ञ करवाया। उधर स्वर्ग विहीन और श्रीहीन होकर इंद्र भगवान विष्णु के पास पहुंचे और बोले, “हे जनार्दन! यह स्वर्ग आपने हमें दिया था। हम देवता स्वर्ग के बिना कुछ भी नहीं हैं। हम शक्तिहीन और श्रीहीन हो गए हैं। हमारी व्यथा दूर करें प्रभो!”
भगवान विष्णु ने लिया वामन रूप
भगवान विष्णु वामन रूप का अवतार लेकर राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंचे और राजा बलि से तीन पग जमीन मांगी। यह सुनकर यज्ञ स्थल पर उपस्थित सभी लोग हंसने लगे, सिवाय दैत्यगुरु शुक्राचार्य को छोड़ कर। उन्हें वामन पर संदेह हुआ। उन्होंने राजा बलि यह दान देने से रोकना चाहा। लेकिन अहंकार से भरे बलि ने सोचा कि ये बौना 3 कदम (पग) में कितनी जमीन नाप पाएगा? उसने भगवान वामन से कहा, “हे वामन! आपकी जहां से इच्छा हो, वहां से अपनी तीन पग भूमि ले सकते हैं।”
तीन पग में नाप लिया तीनों लोक
राजा बलि के इतना कहते ही विष्णुरूपी भगवान वामन का आकार बढ़ना शुरू हो गया। उनके आकार ने अंतरिक्ष के छोर को छू लिया था। उन्होंने अपने दो पग में ही पृथ्वी, आकाश और ब्रह्मांड को नाप लिया था। उन्होंने राजा बलि से पूछा, “हे दानवेंद्र! अब मैं अपना तीसरा पांव कहां रखूं?” इस पर राजा बलि भगवान वामन को प्रणाम करते हुए कहा, “हे प्रभु! आप अपना तीसरा पग में मेरे सिर पर रखें।” भगवान वामन ने ऐसा ही किया और राजा बलि के सिर पर पांव रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया।
हिन्दू धर्म में वामन अवतार का महत्ब
वामन अवतार का हिंदू धर्म में बहुत गहरा महत्व है। राजा बलि के नेतृत्व में दैत्यों ने धरती पर अत्याचार शुरू कर दिए थे। अगर वामन अवतार नहीं हुआ होता तो यह अत्याचार बढ़ता ही जाता और धरती सहित तीनों पर राक्षसों का राज कायम रहता। राक्षसों के अत्याचारों से मनुष्य त्रस्त हो गए होते और उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाता। वामन अवतार ने धरती को राक्षसों के आतंक से मुक्त कराया और देवताओं को वापस स्वर्ग जाने का रास्ता दिया। इस प्रकार, वामन अवतार ने धर्म की रक्षा की और मानवता को बचाया।
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