घर के पूजा घर से जुड़ी इस एक गलती से आप हो सकते हैं कंगाल, लौटकर नहीं आती है खुशहाली!
Vastu Tips: हिंदू धर्म में पूजा घर या पूजा स्थान किसी घर का सबसे पवित्र स्थान माना गया है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, यह सकारात्मक ऊर्जा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्रोत है। देवी-देवताओं की पूजा का यह स्थान परिवार के सदस्यों के लिए आस्था और शांति का स्रोत होने के साथ-साथ यह घर का आध्यात्मिक केंद्र होता है। हिन्दू धर्म में पूजा घर में रखी हर वस्तु का अपना महत्व और विधान है। इनमें से एक महत्वपूर्ण वस्तु है जलपात्र।
क्यों महत्वपूर्ण है जलपात्र?
हिंदू धर्म में जल को पवित्र माना जाता है। जब जलपात्र में हमेशा जल भरा रहता है, तो यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित होता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि जब भगवान को प्यास लगती है, तो वे जलपात्र से जल ग्रहण करते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
खाली जलपात्र के दुष्परिणाम
धार्मिक ग्रंथों और वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर का जलपात्र कभी खाली नहीं रखना चाहिए। खाली जलपात्र को अशुभ माना जाता है और यह घर में कई समस्याएं पैदा कर सकता है। कहते हैं, जब जब भगवान को प्यास लगती है और उन्हें जलपात्र में पानी नहीं मिलता है, तो कुपित हो जाते हैं और उस घर का त्याग कर देते हैं। इससे घर में अनेक प्रकार की समस्याएं बढ़ने लगती हैं।
आर्थिक तंगी: खाली जलपात्र से घर में धन का अभाव हो सकता है। आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है और धन हानि हो सकती है।
नकारात्मक ऊर्जा: खाली जलपात्र नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। इससे घर में तनाव, कलह और बीमारियां बढ़ सकती हैं।
देवी-देवताओं का क्रोध: मान्यता है कि जब भगवान को जल अर्पित करने के लिए जल नहीं मिलता है, तो वे क्रोधित हो जाते हैं। इससे परिवार के सदस्यों पर दुर्भाग्य का साया छा सकता है।
जलपात्र में क्या रखें?
गंगाजल: गंगाजल को सबसे पवित्र माना जाता है। जलपात्र में गंगाजल भरना शुभ होता है।
सादा पानी: यदि गंगाजल उपलब्ध न हो तो सादा पानी भी रख सकते हैं।
तुलसी का पत्ता: तुलसी का पत्ता भी पवित्र माना जाता है। जलपात्र में तुलसी का पत्ता रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
इस दिशा में रखें जलपात्र
पूजा घर का जलपात्र न केवल एक धार्मिक प्रतीक है बल्कि यह वास्तु शास्त्र के अनुसार भी बहुत महत्वपूर्ण है। जलपात्र को हमेशा भरा हुआ रखने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। इसलिए, पूजा करते समय जलपात्र को भरना न भूलें। जलपात्र को हमेशा पूजा घर के पूर्व या उत्तर दिशा में रखें। साथ ही जलपात्र को साफ-सुथरा रखें।
ये भी पढ़ें: महाभारत का पूरा युद्ध देखने वाले बर्बरीक कलियुग में कैसे बने कृष्ण के अवतार खाटू श्याम? जानें अद्भुत कहानी
ये भी पढ़ें: Pitru Paksha 2024: 17 या 18 सितंबर…कब से शुरू है पितृपक्ष? जानें महत्व और श्राद्ध की सभी प्रमुख तिथियां
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।