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Vat Savitri Vrat 2024: वट सावित्री पूजा में क्यों चढ़ाते हैं बांस का पंखा, जानें कथा और महत्व

Vat Savitri Vrat 2024: वट सावित्री पूजा में बांस के पंखे का बहुत ज्यादा महत्व है, इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। आइए जानते हैं, इस पूजा में बांस का पंखा क्यों चढ़ाते हैं और इस व्रत का महत्व और कथा क्या है?
09:29 PM May 31, 2024 IST | Shyam Nandan
vat savitri vrat 2024  वट सावित्री पूजा में क्यों चढ़ाते हैं बांस का पंखा  जानें कथा और महत्व

Vat Savitri Vrat 2024: एक सामान्य स्त्री की शक्ति की पराकाष्ठा यदि किसी भारतीय व्रत-त्योहार में देखने को मिलती है, तो वह है वट सावित्री व्रत। पति की लंबी आयु, सुखद और सफल वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत ज्येष्ठ माह में अमावस्या तिथि को किया जाता है। साल 2024 में यह व्रत 6 जून को पड़ रहा है। इस व्रत की पूजन-सामग्रियों में वट वृक्ष की डाल, भिगोए हुए काले चने और बांस के पंखे को छोड़कर अन्य सभी वस्तुएं सामान्य पूजन सामग्रियां है, जो कमोबेश हर पूजा-पाठ में प्रयुक्त होते हैं। आइए जानते हैं कि वट सावित्री पूजन में बांस का पंखा क्यों चढाते हैं और इससे जुड़ी कथा क्या है?

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वट सावित्री व्रत की कथा

वट सावित्री व्रत की कथा एक हिन्दू स्त्री के स्वाभिमान, पति के प्रति निष्ठा और बुद्धिमत्ता की कथा है। कथा संक्षेप में यूं है... मद्रदेश की राजकुमारी सावित्री ने अपने पिता अश्वपति की इच्छा के विरुद्ध एक वनवासी व्यक्ति सत्यवान से विवाह किया था, जो केवल एक वर्ष तक ही जीवित रहने वाले थे। जिस दिन सत्यवान की मृत्यु होनी थी, उस दिन सावित्री भी सत्यवान के साथ जंगल गई। जंगल में सत्यवान को सिर दर्द होने पर वे सावित्री की गोद में सिर रखकर लेट गए। तभी यमराज वहां आकर सत्यवान का प्राण अपने पाश में लेकर अपनी दिशा में बढ़ गए।

सावित्री ने यमराज का पीछा किया। यमराज के बार-बार मना करने और दो वरदान पा लेने के बावजूद सावित्री ने यमराज का पीछा नहीं छोड़ा। अंततः यमराज ने सावित्री से तीसरा वरदान मांगने को कहा। सावित्री ने वरदान मांगा कि वह सत्यवान के संतान की मां बनना चाहती है। अपने वरदान के वचन से बद्ध यमराज को यह वरदान देना पड़ा। वे सावित्री की पति के प्रति निष्ठा, समर्पण और बुद्धिमत्ता से बहुत प्रसन्न हुए और सत्यवान को जीवनदान दे दिया।

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वट सावित्री पूजा में क्यों चढाते हैं बांस का पंखा?

जंगल में सिर दर्द होने पर जब सत्यवान सावित्री की गोद में सिर रख लेटे हुए थे, तब सावित्री ने ज्येष्ठ माह की गर्मी से सत्यवान को शीतलता देने के लिए जिस पंखे से हवा दी थी, वह बांस से बना हाथ पंखा था। इस कथा की समृति में सुहागिनें बांस का पंखा चढ़ाकर इस घटना का का सम्मान करती हैं और अपने पति की दीर्घायु होने का आशीर्वाद मांगती हैं।

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बांस के पंखे का प्रतीकात्मक महत्व

बांस प्रकृति में तेजी से बढ़ने वाला पौधा है, जो सृजन का प्रतीक है। वहीं बांस का पंखा जीवन के चक्र का प्रतीक होने के साथ-साथ नम्रता, सरलता और शीतलता का भी प्रतीक है। वट सावित्री व्रत पूजन में बांस के पंखे को चढ़ाना सावित्री के त्याग और पतिव्रता होने की याद दिलाता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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