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Janmashtami 2024: इस बार 5 शुभ संयोग में मनेगी जन्माष्टमी; जानें सही डेट, पूजा मुहूर्त और महत्व
Janmashtami 2024: भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन को समर्पित जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक बहुत लोकप्रिय और महत्वपूर्ण त्योहार है। प्रत्येक वर्ष यह पावन त्योहार भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस विशेष तिथि की आधी रात को विष्णु भगवान ने अपने आठवें अवतार भगवान कृष्ण के रूप में जन्म लिया था ताकि पृथ्वी से अधर्म और अन्याय को समाप्त कर धर्म और नीति की स्थापना कर सकें। आइए जानते हैं, जन्माष्टमी कब है, निशिता पूजा मुहूर्त और महत्व क्या है?
जन्माष्टमी कब है...25 या 26 अगस्त?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की रविवार 25 अगस्त को शाम 6 बजकर 9 मिनट से शुरू होगी जो अगले दिन सोमवार 26 अगस्त 2024 की शाम 4 बाजार 49 पर समाप्त होगी। सूर्य उदय और तिथि योग यानी उदयातिथि नियम के मुताबिक भाद्रपद जन्माष्टमी का व्रत 26 अगस्त सोमवार को रखा जाएगा। बता दें, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में आधी रात को हुआ था।
जन्माष्टमी 2024: केवल 45 मिनट का पूजा मुहूर्त
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस बार जन्माष्टमी पर चंद्रमा वृषभ राशि में गोचर कर रहे हैं, जिससे जयंती योग बन रहा है। इस योग में पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। जहां तक जन्माष्टमी पर रात्रि कालीन यानी निशिता पूजा की बात है, तो यह रात के 12 बजकर 1 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इस 45 मिनट दौरान भगवान कृष्ण की पूजा कर लेने से मनोकामनाएं पूरी होंगी।
बन रहे हैं ये शुभ संयोग
जन्माष्टमी 2024 के दिन न केवल चंद्रमा के वृषभ गोचर से जयंती योग बन रहा है, बल्कि सर्वार्थ सिद्धि योग भी निर्मित हो रहा है। साथ ही इस तिथि को रोहिणी नक्षत्र के साथ हर्षण योग का शुभ संयोग हो रहा है, जो रात में 10 बजकर 17 मिनट से आरंभ होगा। साथ ही अष्टमी तिथि पर शिववास योग भी बनेगा। रोहिणी नक्षत्र और हर्षण योग के साथ जयंती योग और शिववास योग का महासंयोग होने से इस साल की जन्माष्टमी बेहद खास बन गई है। साथ ही इस दिन गुरु-चंद्र की युति होने से गजकेसरी योग भी बन रहा है।
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जन्माष्टमी 2024: पारण का समय
जो भी भक्त, साधक या साधिका जन्माष्टमी का पुण्यदायी व्रत रखने वाले हैं, उनको पारण के निश्चित समय पर व्रत जरुर तोड़ लेना चाहिए। पंचांग के अनुसार व्रत का पारण अगस्त 27 को 03:38 PM के बाद कर सकते है, क्योंकि पारण के दिन रोहिणी नक्षत्र का समाप्ति इस समय पर हो रही है। वहीं, धर्म शास्त्र के अनुसार वैकल्पिक पारण समय अगस्त 27 को 05 बजकर 57 मिनट के बाद देव पूजा, विसर्जन आदि के बाद अगले दिन सूर्योदय पर पारण किया जा सकता है।
जन्माष्टमी का महत्व
विष्णु भगवान ने भगवान कृष्ण के अवतार रूप में पृथ्वी पर अधर्म का नाश करने और धर्म की स्थापना के लिए जन्म लिया था। उन्होंने इस काम को बखूबी पूरा किया। उनकी जयंती जन्माष्टमी हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देती है। भगवान कृष्ण ने कंस जैसे असुरों का वध करके धर्म की रक्षा की थी। भगवान कृष्ण भक्ति और प्रेम के प्रतीक हैं। जन्माष्टमी हमें न केवल उनके प्रति भक्ति और प्रेम जागृत करती है, बल्कि समस्त जगत के प्रति कल्याण और प्रेम के लिए प्रेरित करती है। हिन्दू मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से सौभाग्य, समृद्धि, सुख और शांति के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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