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Saphala Ekadashi 2024: कब है शुभ कार्यों में सिद्धि देने वाली सफला एकादशी? जानें सही डेट, महत्व और पूजा विधि

Saphala Ekadashi 2024: 'सफला' शब्द का अर्थ है ‘सफलता’, पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी कहते हैं, क्योंकि मान्यता है कि यह व्रत रखने से सभी शुभ कार्यों में सिद्धि मिलती है। आइए जानते हैं, सफला एकादशी कब है और इस एकादशी का महत्व और पूजा विधि क्या है?
04:41 PM Dec 15, 2024 IST | Shyam Nandan
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Saphala Ekadashi 2024: सफला एकादशी हिंदू धर्म में एक बेहद महत्वपूर्ण एकादशी व्रत है जो पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, 'सफला' शब्द का अर्थ है सफलता, यह माना जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा से सभी कार्यों में सफलता मिलती है। आइए जानते हैं, शुभ कार्यों में सिद्धि देने वाली सफला एकादशी कब है और इस एकादशी का महत्व और पूजा विधि क्या है?

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सफला एकादशी का महत्व

सफला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं। यह एक ऐसा व्रत है जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से भी बहुत लाभकारी है। साथ ही यह व्रत आध्यात्मिक विकास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है और तन-मन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।

  • सफलता का वरदान: सफला एकादशी व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा से सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
  • पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति: यह व्रत सभी पापों का नाश करने वाला माना गया है और यह व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • दुखों का नाश और सुख-समृद्धि: इस व्रत को करने से सभी प्रकार के दुखों और संकटों का नाश होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
  • मन की शांति और स्वास्थ्य लाभ: इस व्रत को रखने से मन शांत होता है और आत्मिक शक्ति बढ़ती है। साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी यह बहुत लाभदायक होता है।

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कब है सफला एकादशी 2024?

पौष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी के रूप में जाना जाता है। सनातन पंचांग के अनुसार, पौष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 25 दिसंबर को रात 10 बजकर 29 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 27 दिसंबर को रात में 12 बजकर 43 बजे होगा। इस प्रकार सफला एकादशी का व्रत 26 दिसंबर को रखा जाएगा।

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सफला एकादशी की पूजा विधि

सफला एकादशी के दिन साधक और भक्त भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी दोनों की पूजा करते हैं। ऐसे लोगों को इस दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान कर ब्रह्म मुहूर्त में ही भगवान की पूजा करनी चाहिए।

  • पूजा के लिए स्नान के बाद साफ, स्वच्छ, धुले पीला, केसरिया, लाल या सफेद वस्त्र पहनें।
  • घर के मंदिर में यदि भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का चित्र या प्रतिमा है, तो उनकी पूजा करें। आप अपने निकट के किसी मंदिर में जा सकते हैं।
  • यदि आप मंदिर जाते हैं, तो लक्ष्मीजी सहित भगवान विष्णु की प्रतिमा का पंचगव्य से अभिषेक कर पंचोपचार पूजा करें।
  • उन्हें पीला चंदन, जनेऊ, गंध, अक्षत, पीताम्बर, धूप, दीपक, नैवेद्य पान आदि अर्पित करें।
  • पूरे दिन व्रत रखें एवं सायं काल में फलाहार लेकर व्रत खोलें।
  • यदि संभव हो तो इस दिन गरीबों व भिखारियों को भी कुछ न कुछ खाने के लिए दान करें।
  • इस दिन श्रीमद्भागवत के किसी भी एक अध्याय का पाठ करें। इस तरह व्रत करने से समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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