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Kawad Yatra 2024: कांवड़ यात्रा कब शुरू होगी? जानें सावन मास में इस यात्रा का महत्व

Kawad Yatra 2024: भगवान शिव के प्रिय महीना सावन में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं, सावन 2024 की कांवड़ यात्रा कब शुरू होगी, इस यात्रा का महत्व क्या है और यात्रा के दौरान किन नियमों का पालन करना अनिवार्य है?
01:43 PM Jul 05, 2024 IST | Shyam Nandan
kawad yatra 2024  कांवड़ यात्रा कब शुरू होगी  जानें सावन मास में इस यात्रा का महत्व

Kawad Yatra 2024: पवित्र सावन मास में देवाधिदेव भगवान भोलेनाथ की पूजा, सोमवार व्रत और कांवड़ यात्रा का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। इस महीने में सोमवार के दिन प्रायः सभी प्रसिद्ध शिव मंदिरों की नगरी बोम बम और हर हर महादेव के नारे से गुंजायमान हो जाती है। साल 2024 में सावन माह की शुरुआत 22 जुलाई से हो रही है। आइए जानते हैं, इस सावन में कांवड़ यात्रा की शुरुआत कब होगी, इसका महत्व क्या है और कांवड़ से जुड़े नियम क्या हैं?

कांवड़ क्या है?

बांस की लकड़ी से बने एक डंडे, जिसके दोनों सिरों पर डोरियों के सहारे दो कलश लटके होते हैं, को कांवड़ कहते हैं। इन कलशों में गंगा, नर्मदा, क्षिप्रा जैसी पवित्र नदियों का जल भरा होता है, जिसे कंधे पर ढोकर यात्रा की जाती है। बांस न मिलने पर शुभ लकड़ियों से भी कांवड़ बनाए जाते हैं। कांवड़ को रंग-बिरंगे चमकीले पताकों और फूलों से सजाया जाता है। इस पर भगवान शिव के प्रतीक उनसे संबंधित चीजें, जैसे त्रिशूल, नाग, नंदी बैल और शिवलिंग आदि भी जड़े जाते हैं, जो धातु, लकड़ी या प्लास्टिक के होते हैं।

कांवड़ यात्रा का महत्व

सावन के पवित्र महीने में कांवड़ यात्रा का विशेष महात्म्य है। धार्मिक मान्यता है कि कांवड़ यात्रा करने से व्यक्ति के सभी पाप और संताप नष्ट हो जाते हैं, रोग और शोक से मुक्ति मिलती है। कांवड़ से ढोकर लाए गए जल के अभिषेक से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं, जिसे जीवन के हर क्षेत्र में बरकत होती है। बता दें कि कांवड़ यात्रा करने वाले शिव भक्तों को 'कांवड़िया' कहा जाता है। मान्यता है कि पूरे कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िया को बहुत पवित्र माना जाता है, जिसका अनादर या अपमान करना पाप माना जाता है। कहते हैं, इस दौरान हर कांवड़िया में भगवान शिव का वास होता है।

कब शुरू होगी कांवड़ यात्रा?

साल 2024 में सावन की शुरुआत ही सोमवार 22 जुलाई से हो रही है। इसलिए भगवान शिव का पहला जलाभिषेक इस दिन ही होगा। इसके लिए कांवड़ यात्रा की शुरुआत शुभ दिन और मुहूर्त में 18 जुलाई से ही शुरू हो जाएगी। पंडितों के मुताबिक लंबी यात्रा करने वालों के लिए आषाढ़ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत का दिन सर्वोत्तम है, ताकि वे सोमवार को बाबा भोलेनाथ को जल अर्पित कर सकें। साल 2024 की आषाढ़ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 जुलाई, 2024 को पड़ रही है।

कम दूरी यात्रा करने वाले भक्त चतुर्दशी तिथि और उससे भी कम दूरी तक जाने वाले श्रद्धालु पूर्णिमा के दिन अपनी कांवड़ यात्रा आरंभ कर सकते हैं, ताकि वे समय पर यानी सावन के पहले सोमवार को शिवजी का जलाभिषेक कर पाएं। कांवड़िया को त्रयोदशी, चतुर्दशी या पूर्णिमा तिथि का निर्धारण यात्रा की दूरी और अपने पैदल चलने की क्षमता के अनुसार करनी चाहिए। बता दें, कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ सहित खुद की शुचिता और पवित्रता ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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