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Pitrupaksh 2024: पहले दिन अगस्त्य मुनि का तर्पण क्यों किया जाता है?

हिन्दू धर्म में पितृपक्ष के पहले दिन ऋषि तर्पण का विधान है।पहले दिन अगस्त्य मुनि को जल अर्पित किया जाता है। महाभारत में अगस्त्य तर्पण से जुड़ी एक कथा पढ़ने को मिलती है।जिससे ज्ञात होता है कि आखिर पितृपक्ष में अगस्त्य तर्पण क्यों जरूरी है ।
09:02 PM Sep 05, 2024 IST | News24 हिंदी
pitrupaksh 2024  पहले दिन अगस्त्य मुनि का तर्पण क्यों किया जाता है

Pitrupaksh 2024: इस वर्ष 17 सितम्बर से श्राद्धपक्ष यानि पितृपक्ष शुरू हो रहा है। लेकिन हिन्दू धर्म में पितृपक्ष शुरू होने से एक दिन पहले अगस्त्य मुनि के नाम से तर्पण किया जाता है, जिसे ऋषि तर्पण भी कहा जाता है। हिन्दू धर्मग्रंथों में पहले दिन ऋषि का तर्पण करना जरूरी बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई मनुष्य पहले दिन ऋषि तर्पण नहीं करता है तो उसके पितर पूरे साल भर जल के लिए भटकते रहते हैं। आइये जानते हैं, ऋषि तर्पण की पौराणिक कथा।

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पौराणिक कथा

महाभारत के वन पर्व में बताया गया है कि पौराणिक काल में धरती लोक पर आतापी और वातापी नाम के दो असुर भाई हुआ करते थे। ये दोनों भाई मायावी शक्तियों से निपुण थे। आतापी अपनी मायावी शक्ति के बल से जिस किसी भी मरे हुए प्राणी को आवाज लगाता तो वह जीवित हो उठता था। वहीं वातापी को किसी भी प्राणी का रूप धारण करने में महारथ हासिल था। ये दोनों भाई बड़ी ही क्रूरता से ब्राह्मणों और ऋषि मुनियों की हत्या करते थे।

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आतापी और वातापी 

महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार जब भी आतापी और वातापी को खाने का मन करता तो वह आस पास के किसी ऋषि-मुनि या ब्राह्मणों को भोजन करने के लिए आमंत्रित करते। फिर जब आमंत्रित ब्राह्मण या ऋषि-मुनि इन असुरों के घर भोजन को आते तो आतापी अपने छोटे भाई वातापी को काटकर कई तरह के पकवान बनाता और सभी को खिलाता। ऋषि-मुनि या ब्राह्मण जब खाकर जाने लगते तो आतापी पहले तो उन्हें दान दक्षिणा देता और फिर वातापी को  जोर जोर से आवाज लगाता, वातापी, अरे ओ वातापी, कहां छुपा बैठा है, जल्दी बाहर निकल। बड़े भाई आतापी के आवाज लगाते ही वातापी ब्राह्मण के पेट को फाड़कर बाहर निकल आता। पेट फटने के बाद जब ब्राह्मण या ऋषि-मुनियों की मृत्यु हो जाती तो दोनों भाई आराम से बैठकर बड़े ही चाव से मृत शरीर का मांस खाते।

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आतापी और वातापी का अत्याचार

एक दिन की बात है अगस्त्य मुनि अपने आश्रम में ध्यान की मुद्रा में बैठे हुए थे उसी समय आस पास के सैकड़ों ऋषि-मुनि और  ब्राह्मण उनके आश्रम आए और कहने लगे हे मुनिवर ! हमारा कल्याण करें नहीं तो हमलोग जीवित नहीं बच पाएंगे। ऋषि-मुनियों की बातें सुनकर अगस्त्य जी ने कहा आप सभी यहाँ क्यों पधारे हैं, कृपया हमें विस्तार से बताएं। तब ऋषि-मुनियों ने दोनों असुर भाइयों के अत्याचार के बारे में बताया। फिर अगस्त्य मुनि ने कहा आप सभी निश्चिंत हो जाएं मैं अवश्य ही इन दोनों भाइयों का नाश करूंगा।

कुछ दिनों बाद अगस्त्य मुनि को धन की आवश्यकता हुई तो वे एक राजा के पास गए। उस राजा ने धन देने में खुद को असमर्थ बताते हुए कहा, मुनिवर इस समय आपके धन की आवश्यकता को केवल असुरराज आतापी ही पूर्ण कर सकता है। राजा के कहने पर अगस्त्य जी आतापी के पास पहुंचे। अगस्त्य मुनि को अपने घर आया देख दोनों असुर भाई मन ही मन बड़े प्रसन्न हो उठे। फिर पहले की तरह ही आतापी ने वातापी को काटकर अगस्त्य मुनि के लिए कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाए।

वातापी का वध

आतापी ने अगस्त्य मुनि को आसन्न पर बिठाकर उन्हें भोजन कराया | फिर जब मुनि भोजन के बाद उठने लगे तो आतापी ने वातापी को जोर से पुकारने लगा । तभी अगस्त्य मुनि को अपने पेट मे कुछ हलचल  महसूस हुई । उसके बाद अगस्त्य ने अपने तपोबल से जान लिया कि पेट के अंदर असुर वातापी जीवित हो उठा है । फिर क्या था उन्होंने एक अंजुली जल को अभिमंत्रित किया और पी गए।उधर आतापी भाई को आवाज लगाए जा रहा था। तब मुनि बोले, जिसे तुम आवाज दे रहे हो वह अब कभी बाहर नहीं आएगा क्योंकि मैंने उसे पचा लिया है।

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आतापी का अंत

मुनि की बातें सुनकर आतापी तत्काल डर गया और बोला हे मुनिवर! आप यहां किस उद्देश्य से आए थे। तब अगस्त्य मुनि ने कहा मुझे धन की आवश्यकता है और मैं यहां तुमसे धन लेने ही आया था। फिर आतापी ने अगस्त्य मुनि को ढेर सारा धन देकर विदा कर दिया और स्वंय पीछे-पीछे भाई के मौत का बदला लेने चल पड़ा। परंतु  मुनि अगस्त्य अपने तपोबल से जान गए कि आतापी उन्हें मारने के उद्देश्य से पीछे आ रहा है। आतापी कुछ कर पाता उससे पहले ही अगस्त्य मुनि ने उसे अपने तपोबल से जलाकर भस्म कर दिया। इस तरह इन दोनों असुर भाइयों का अंत हुआ। जिसके बाद ऋषि, मुनियों और ब्राह्मणों ने अगस्त्य मुनि को जल अर्पित करना शुरू किया और वह दिन भाद्रपद पूर्णिमा था।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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