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जमीं से आसमां तक! एक बार फुल चार्ज होने पर 12 महीने तक चलेगी बैटरी, ये काम हो जाएंगे आसान

Scientists reveal battery operate for months: वैज्ञानिकों के अनुसार ये बैटरी सीधे मंगल ग्रह के वायुमंडल में मौजूद गैसों को ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर सकती है।
06:49 PM Oct 09, 2024 IST | Amit Kasana
जमीं से आसमां तक  एक बार फुल चार्ज होने पर 12 महीने तक चलेगी बैटरी  ये काम हो जाएंगे आसान
फोटो क्रेडिट, नासा

Scientists reveal Mars battery that can operate for months on a single charge: टूथब्रश, कार की चाबी, मोबाइल, हाथघड़ी और कार तक हमें कई छोटी और बड़ी चीज में बैटरी की जरूरत पड़ती है। अब वैज्ञानिकों ने ऐसी बैटरी बना ली है जो एक बार फुल चार्ज होने पर करीब 12 महीने बड़ी आसानी से चल जाती है, इस बैटरी से हमारे कई काम आसान होंगे।

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दरअसल, इस बैटरी को चीन के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर यूज करने के लिए बनाया है। लेकिन इससे कार समेत अन्य कामों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। फिलहाल चीन ने इस बारे में ये जानकारी शेयर नहीं की है कि इसे मंगल ग्रह के अलावा किन चीजों में यूज किया जाएगा।

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भारत से मंगलयान को मंगल तक पहुंचने में 9 महीने का समय लगा

बता दें मंगल ग्रह पर मनुष्यों को भेजना और फिर यह सुनिश्चित करना कि वे जीवित रहें, इसके लिए लगातार अलग-अलग देश काम कर रहे हैं। मंगल ग्रह के पृथ्वी से बहुत अलग भोगौलिक स्थिति है। बता दें भारत से मंगलयान को मंगल तक पहुंचने में 9 महीने का समय लगा था।

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रोवर्स और अन्य उपकरणों में बैटरी का यूज

मंगल पर जाने वाले रोवर्स और अन्य उपकरणों में इस नई बैटरी को यूज किया जाएगा। पृथ्वी से मंगल तक जाने पर कई चीजों में ऊर्जा या बैटरी की जरूरत पड़ती है। बता दें ये बैटरी चीन के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की एक टीम ने तैयार की है।

दिन और रात के तापमान में अंतर

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस बैटरी का वजन काफी कम है, जिससे यह अंतरिक्ष मिशनों के लिए ज्यादा बेहतर है। बता दें मंगल ग्रह के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड (95.32%), नाइट्रोजन (2.7%), आर्गन (1.6%), ऑक्सीजन (0.13%) और कार्बन मोनोऑक्साइड (0.08%) मौजूद हैं। इसके दिन और रात के तापमान में लगभग 60 डिग्री सेल्सियस का अंतर होता है। यहां किसी भी बैटरी को इन परिस्थितियों में पूरी तरह से काम करने की जरूरत होती है।

गैसों को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करेगी

वैज्ञानिकों के अनुसार ये बैटरी सीधे मंगल ग्रह के वायुमंडल में मौजूद गैसों को ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर सकती है। मंगल ग्रह की बैटरी लगातार रसायनों के साथ प्रतिक्रिया करती है और गैसों को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करती है। इससे नियमित बैटरी की तरह ऊर्जा को संग्रहीत करने की जरूरत नहीं पड़ती है।

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