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कौन हैं डेंटे लॉरेटा? जिन्हें NASA ने दिए 100 करोड़, यह है वजह

Dante Lauretta: नासा विशेषज्ञों के अनुसार 24 सितंबर साल 2182 को बेन्नू नामक उल्कापिंड के पृथ्वी से टकराने का खतरा है। उल्कापिंड एक चट्टान की तरह होते हैं। जो हर छह साल में हमारे ग्रह के करीब घूमते हैं। बेन्नू की खोज 11 सितंबर, 1999 को एमआईटी में लिंकन प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने की थी।
10:29 PM Mar 15, 2024 IST | Amit Kasana
कौन हैं डेंटे लॉरेटा  जिन्हें nasa ने दिए 100 करोड़  यह है वजह

Dante Lauretta: नासा अंतरिक्ष को लेकर नित नई खोजें करता रहता है। अक्सर वह अपनी खोजों को लेकर सुर्खियों में रहता है। इस बार नासा प्रोफेसर और खोजकर्ता डेंटे लॉरेटा को 100 करोड़ रुपये देने के लिए चर्चा में है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लेखक और खोजककर्ता डेंटे को उनकी पुस्तक The Asteroid Hunter के लिए इतनी बड़ी रकम दी गई है। उन्होंने बेन्नू नामक उल्कापिंड मिशन का नेतृत्व भी किया है।

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वैज्ञानिक और तकनीकी पहलुओं की पड़ताल

जानकारी के अनुसार इस पुस्तक में संभावित उल्कापिंड टकराव बेन्नू को रोकने के लिए नासा के करोड़ों के मिशन की रोमांचक कथा को डेंटे लॉरेटा ने बड़े रोचक तरीके से प्रस्तुत किया है। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार किताब न केवल मिशन के वैज्ञानिक और तकनीकी पहलुओं की पड़ताल करती है बल्कि इस ऐतिहासिक उपलब्धि के पीछे की मानवीय भावना और सामूहिक प्रयास पर भी प्रकाश डालती है।

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 उल्कापिंड बेन्नू का पृथ्वी से टकराने का है खतरा 

नासा विशेषज्ञों के अनुसार 24 सितंबर साल 2182 को बेन्नू नामक उल्कापिंड के पृथ्वी से टकराने का खतरा है। बताया जा रहा है कि इसकी स्पीड 24 परमाणु बमों की पावर के बराबर होगी। बता दें 2700 में से 1 संभावना है कि यह पृथ्वी से टकराएगा। बता दें उल्कापिंड एक चट्टान की तरह होते हैं। जो हर छह साल में हमारे ग्रह के करीब घूमते हैं। अगर ये पृथ्वी से टकराया जाए तो यह काफी विनाशकारी साबित हो सकते हैं।

1999 में पता चला था

जानकारी के अनुसार उल्कापिंड को रोकने का नासा का यह मिशन अपने अंतिम चरण में हैं। नासा ने नमूने एकत्र करने के लिए बेन्नू के लिए एक अंतरिक्ष यान लॉन्च किया था। उम्मीद है कि प्राप्त डेटा उन्हें इस उल्कापिंड को रोकने की तैयारी करने में मदद करेगा। किताब में डेंटे ने खुद बताया कि 2011 में नासा ने एक अभूतपूर्व मिशन का नेतृत्व करने के लिए मुझे 100 करोड़ रुपये का पुरस्कार दिया था। उन्होंने आगे लिखा कि मिशन में न केवल उल्कापिंडों पर एक अंतरिक्ष यान भेजना था बल्कि उसका एक टुकड़ा पृथ्वी पर वापस लाना था। बता दें बेन्नू की खोज 11 सितंबर, 1999 को एमआईटी में लिंकन प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों द्वारा की गई थी।

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