क्या है ब्लैक होल्स की स्टडी के लिए भेजा गया मिशन XPoSat? नए साल पर इसरो ने किया लॉन्च
New Year 2024 ISRO launches XPoSat mission: नए साल के पहले दिन ही इसरो ने इतिहास रच दिया है। आज इसरो का एक्सपोसेट (XPoSat) मिशन लॉन्च कर दिया गया। एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। यह ब्लैक होल के बारे में जानकारी जुटाएगा। एक्सपोसेट (PSLV-C58/XPoSat) ब्लैक होल्स की स्टडी के लिए भेजा गया भारत का पहला मिशन है। यह सैटेलाइट वेधशाला की तरह काम करेगा।
इसे आज यानी एक जनवरी 2024 को सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर लॉन्च किया गया। इसे लॉन्च करने के लिए उलटी गिनती 25 घंटे पहले रविवार 31 दिसंबर को शुरू हुई थी। उड़ान के 21 मिनट बाद यह 650 किलोमीटर की उंचाई पर परिक्रमा करने लगेगा। यह रॉकेट 44 मीटर लंबा और 260 टन वजन का था।
इसरो ने क्या बताया इसपर
इसरो ने बताया है कि, इसरो के PSLV-C58 ने 01 जनवरी, 2024 09:10 बजे IST पर XPOSAT सैटेलाइट को पूर्व की ओर कम झुकाव वाली कक्षा में लॉन्च किया है। XPoSat (एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट) आकाशीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन के अंतरिक्ष-आधारित ध्रुवीकरण माप में रिसर्च करने वाला इसरो का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है। सैटेलाइट कॉन्फिगरेशन को IMS-2 बस प्लेटफ़ॉर्म से संशोधित किया गया है। मेनफ्रेम सिस्टम का कॉन्फिगरेशन आईआरएस उपग्रहों के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें POLIX (एक्स-रे में पोलारिमीटर उपकरण) और XSPECT (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी और टाइमिंग) नामक दो पेलोड हैं।
इस मिशन के उद्देश्य हैं-
-POLIX पेलोड द्वारा थॉमसन स्कैटरिंग के माध्यम से लगभग 50 संभावित ब्रह्मांडीय स्रोतों से निकलने वाले एनर्जी बैंड 8-30keV में एक्स-रे के ध्रुवीकरण को मापना।
-XSPECT पेलोड द्वारा ऊर्जा बैंड 0.8-15keV में ब्रह्मांडीय एक्स-रे स्रोतों का दीर्घकालिक वर्णक्रमीय और अस्थायी अध्ययन करना।
-सामान्य ऊर्जा बैंड में क्रमशः POLIX और XSPECT पेलोड द्वारा ब्रह्मांडीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का ध्रुवीकरण और स्पेक्ट्रोस्कोपिक माप करना।
2024 lifted off majestically. 📸
XPoSat health is normal.
Power generation has commenced. pic.twitter.com/v9ut0hh2ib— ISRO (@isro) January 1, 2024
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इसरो द्वारा लॉन्च किया गया यह सैटेलाइट ब्लैकहोल जैसे चमकदार एक्सरे स्रोतों का डायनामिक्स अध्ययन करेगा। यह अपनी तरह का दूसरा ऐसा मिशन है यानी वेधशाला की तरह काम करने वाला यह दुनिया का दूसरा सैटेलाइट होगा। इससे पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने साल 2021 में आईएक्सपीई लॉन्च किया था। नासा ने इसे इटली की अंतरिक्ष एजेंसी के साथ मिलकर लॉन्च किया था।
#ISRO begins 2024 in Style!
Successful launch of PSLV-C58/ 🛰 XPoSat Mission.
Proud to be associated with the Department of Space at a time when Team @isro continues to accomplish one success after the other, with the personal intervention & patronage from PM Sh @narendramodi. pic.twitter.com/cisbjpUYpH— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) January 1, 2024
पता लगाएगा यूनिवर्स के रहस्यों के बारे में
इसरो द्वारा लॉन्च किए गए इस सैटेलाइट को धरती से 650 किलोमीटर ऊपर स्थापित किया जाएगा। यह सैटेलाइट यूनिवर्स के कई रहस्यों से पर्दा उठाएगा और ब्रम्हांड को ठीक तरीके से समझने में मदद करेगा। इसरो के इस मिशन का मकसद एस्ट्रोनॉमिकल सोर्सेस के पोलराइजेशन की स्टडी और एक्सरे उत्सर्जन प्रक्रिया को समझना है। यह मिशन करीब 5 साल का है। इसरो द्वारा भेजे गए रॉकेट के साथ कुल 10 पेलोड भेजे गए हैं।
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