क्या पूरा ‘दिमाग’ बनाने के करीब हैं वैज्ञानिक? दुनिया का पहला 3D-प्रिंटेड ब्रेन टिश्यू बनाने में मिली सफलता
Scientists created small brain through 3D printing: साइंस और खासकर मेडिकल साइंस की दुनिया में आए दिन नए नए चमत्कार होते रहते हैं। मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है जिसे कुछ दशकों पहले सोचा भी नहीं जा सकता था। कुछ दिन पहले ही इलोन मस्क की कंपनी ने कमाल कर दिखाया था। मस्क की कंपनी न्यूरालिंक को इंसान के दिमाग में चिप लगाने में सफलता मिली थी। अब वैज्ञानिकों ने एक और हैरान करने वाला काम करके दिखाया है। साइंटिस्ट्स ने 3डी प्रिंटिंग की तकनीक से एक ब्रेन टिशू बनाने में सफलता हासिल की है।
हैरानी की बात यह है कि इसके टिश्यूज प्राकृतिक ब्रेन टिशू की तरह काम करते हैं। दुनिया का पहला 3डी-प्रिंटेड यह ब्रेन टिश्यू मानव मस्तिष्क की तरह काम करता है। माना जा रहा है कि यह न्यूरोलॉजिकल और न्यूरोडेवलपमेंटल संबंधी समस्याओं को हल करने की दिशा में एक बड़ी छलांग है। इस सफलता से वैज्ञानिकों में काफी उत्साह है। इससे खासकर अल्जाइमर और पार्किंसंस रोग जैसे न्यूरोलॉजिकल और न्यूरोडेवलपमेंटल बीमारियों पर रिसर्च में बहुत मदद मिलेगी।
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क्या कहना है साइंटिस्ट्स का
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह हमें यह समझने में मदद करने के लिए एक बेहद शक्तिशाली मॉडल हो सकता है कि मस्तिष्क की कोशिकाएं और मस्तिष्क के हिस्से मनुष्यों में कैसे संचार करते हैं। यह स्टेम सेल बायोलॉजी, न्यूरोसाइंस और कई न्यूरोलॉजिकल और मानसिक विकारों को देखने के उनके तरीके को बदल सकता है। इससे दिमाग के जटिल हिस्से को समझा जा सकेगा। मस्तिष्क से संबंधित कई तरह की समस्याओं को समझने में मदद मिलेगी। कई ऐसी बीमारियों का इलाज खोजा जा सकेगा जिनका इलाज अबतक संभव नहीं था। इससे रिसर्च के क्षेत्र में बड़ी प्रगति होगी। हालांकि पूरा मस्तिष्क बनाना अभी बहुत दूर की बात है।
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