क्या सच में सिकुड़ रहा है चंद्रमा? ताजा रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता; जानिए Interesting Facts
University of Maryland Latest Report: यूएस में मैरीलैंड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के एक समूह ने चांद को लेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की है। वैज्ञानिकों के अनुसार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सतह पर सिकुड़न हो रही है। कई सौ मिलियन वर्षों में लगातार चंद्रमा का आकार घटता जा रहा है। जो मानव के चांद पर बसने के इरादों पर पानी फेर सकता है। इसकी कोर पिछले कई सालों में लगभग 50 मीटर यानी 164 फीट तक सिकुड़ चुकी है। बता दें कि चांद की हर गतिविधि पृथ्वी को प्रभावित करती है। अगर चांद से रोशनी धरती पर नहीं आएगी तो समुद्र उफान मारेगा। जिससे धरती की स्पीड कम होगी और टेंपरेचर इतना गिर जाएगा कि इंसान यहां रह नहीं सकेगा।
वैज्ञानिकों का दावा है कि भूकंपीय गतिविधियों के कारण चांद सिकुड़ रहा है। वैज्ञानिकों को चांद की थ्रस्ट फॉल्ट वाली तस्वीरें मिली हैं, जिनका विश्लेषण किया गया है। तस्वीरें हाल में ही नासा ने रिकॉर्ड की हैं। चंद्रमा का एक आंतरिक कोर होता है। जिसका रेडियस लगभग 500 किलोमीटर आंशिक रूप से पिघला होता है। जो धरती की तुलना में काफी कम है, काफी ठंडा होने के कारण यह सिकुड़ रहा है। इसका बाहरी हिस्सा काफी नाजुक है, सिकुड़ने के कारण उसकी पपड़ी टूट जाती है। चांद पर कुछ रेखाओं में धीमे संकुचन से दरारों की स्थिति भी बन जाती है। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण भी चांद पर असर पड़ रहा है।
#OTD 15 years ago, the spent Centaur rocket from the NASA LCROSS mission slammed into the surface of the south pole of the moon.
But Centaur didn't hit the Moon at all… it was swallowed by the Moon
Moments before impact, LRO was approaching the location and it took this photo. pic.twitter.com/riEWDN4MGk
— 🚀conspiracy_slayer🌕 (@conspiracyslyr) April 1, 2024
दिन की लंबाई पर पड़ रहा असर
चांद के सिकुड़ने की दर अभी कम है। जिसके कारण आकार ज्यादा नहीं बदलेगा और इंसानों पर असर कम होगा। सिकुड़ने के बावजूद सतह का द्रव्यमान नहीं घट रहा। जिसके कारण पृथ्वी और चांद का गुरुत्वाकर्षण सेम ही रहेगा। चंद्रमा की कक्षा का लेवल हर साल लगभग 3.8 सेमी बढ़ रहा है। यह हमसे दूर जा रहा है, जिसके कारण पृथ्वी की घूमने की गति कम हो रही है। इसका असर दिन की लंबाई पर भी होता है। दिन की लंबाई में 2.3 मिली सेकेंड जुड़ जाता है। अध्ययन में आशंका जताई गई है कि सिकुड़न के कारण मानव बस्तियों को चांद पर बसाने के सपने को झटका लग सकता है। नासा आर्टेमिस III मिशन को चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारना चाह रहा था। सूत्रों के मुताबिक उसने अपना मिशन 2025 तक रोक लिया है।
नासा को अभी रोकना होगा मिशन
डॉ. थॉमस वॉटर्स ने चिंता जताई है कि नई रिपोर्ट में 50 साल के बड़े भूकंप के कारण चांद की सतह पर काफी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि धरती पर कुछ देर का भूकंप बड़ी तबाही मचा सकता है। चांद पर स्थिति उल्टी होती है। यहां भूकंप कई घंटों तक रह सकते हैं। जो मानव बस्तियों को पूरी तरह नष्ट कर सकते हैं। चांद पर अरबों वर्षों में कई धूमकेतुओं ने प्रहार किए हैं। जिससे सतह पर बजरी के टुकड़े उम्मीदों से अधिक हो चुके हैं। एसोसिएट प्रोफेसर निकोलस श्मर ने बताया कि चांद की सतह अब माइक्रोन से लेकर बोल्डर आकार की हो सकती है। कंपन और भूस्खलन की आशंका अभी भी है, जो नासा के मिशन के लिए खतरा हो सकती है। अंतरिक्ष यात्रियों, उपकरणों और बुनियादी ढांचे को सेफ रखना जरूरी है।