न कोई रन बनाया..न विकेट चटकाया..न ही लिया कैच, फिर भी बन गया मैन ऑफ द मैच
World Strangest Man of the Match Award: अगर मैं आपसे कहूं कि एक ऐसा क्रिकेट मैच है, जिसमें एक ऐसा खिलाड़ी मैन ऑफ द मैच बना, जिसने न कोई विकेट चटकाई न ही कोई रन बनाया। फिर भी उसे मैन ऑफ द मैच घोषित किया गया। तो क्या आप हमारी बात पर विश्वास करेंगे? थोड़ा मुश्किल होगा भरोसा करना, लेकिन ये सच है। क्रिकेट के इतिहास में ऐसा भी हुआ है। बात साल 2001 की है।
जिम्बाब्वे उस समय एक अच्छी टीमों में शुमार हुआ करती थी। हरारे में कोका कोला कप खेला जा रहा था, जिम्बाब्वे के अलावा भारत और वेस्ट इंडीज भी इस टूर्नामेंट में खेल रही थी। ये वो समय था जब मैच फिक्सिंग स्कैंडल से उबरते हुए सौरव गांगुली की कप्तानी में नई टीम इंडिया खड़ी हो रही थी। इसी टूर्नामेंट में एक मैच खेला गया जिम्बाब्वे और वेस्ट इंडीज के बीच। वेस्ट इंडीज की टीम में क्रिस गेल, डैरेन गंगा, मार्लोन सैमुअल्स, कार्ल हूपर और शिवनारायण चंद्रपॉल जैसे दिग्गज खिलाड़ी थे। मगर लाइमलाइट लूटी एक सीनियर खिलाड़ी ने, जो अपने करियर के आखिरी पड़ाव पर था।
पहले बात मैच की
इस मैच में वेस्ट इंडीज ने पहले बल्लेबाजी की और 5 विकेट पर 266 रनों का मजबूत स्कोर बनाया। ये वो दौर था जब 250 पार का स्कोर अच्छा माना जाता था। गेल, गंगा और चंद्रपॉल ने फिफ्टी लगाई। डैरेन गंगा ने सबसे ज्यादा 66 रन बनाए। जवाब में जिम्बाब्वे ने भी सधी हुई शुरुआत की, लेकिन नियमित अंतराल पर विकेट गिरते रहे। मगर एलिस्टर कैंपबेल के 68 रनों की बदौलत जिम्बाब्वे लक्ष्य के काफी नजदीक आ गया था। एक समय लग रहा था कि जिम्बाब्वे मैच का पासा पलट देगा। मगर वेस्ट इंडीज के गेंदबाजों ने विकेट चटकाकर कोई साझेदारी नहीं पनपने दी। मगर उन्होंने काफी रन लुटाए। इस बीच एक खिलाड़ी ऐसा था, जिसने कोई विकेट नहीं चटकाया लेकिन मैच का पासा पलट दिया।
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कैमरन कफी बने मैन ऑफ द मैच
साल 1994 में फरीदाबाद में भारत के खिलाफ डेब्यू करने वाले कैमरन कफी (Cameron Cuffy) इस मैच में मैन ऑफ द मैच बने। लेकिन क्यों? चलिए हम आपको बताते हैं। 6 फुट 7 इंच के इस लंबे गेंदबाज ने ऐसी गजब की गेंदबाजी की कि जिम्बाब्वे के बल्लेबाजों के लिए चौका-छक्का तो छोड़िए 1-1 रन बनाना भी भारी पड़ गया। अपने 10 ओवर के स्पैल में कफी ने महज 20 रन ही दिए और 2 मेडन ओवर भी फेंके। हालांकि उन्होंने एक भी विकेट हासिल नहीं किया। बस यहीं से मैच का रुख बदल गया। जिम्बाब्वे जवाब में 239 रनों तक ही पहुंच पाई और 27 रन से मैच हार गई।
कौन हैं कैमरन कफी
कैमरन कफी का करियर बहुत ज्यादा लंबा नहीं रहा। 1994 में डेब्यू करने के बाद वह महज 41 वनडे और 15 टेस्ट मैच ही खेल पाए। इस दौरान वनडे में 41 और टेस्ट में 43 विकेट चटकाए। एक समय था जब उन्हें खतरनाक पैट्रिक पेटरसन का उत्तराधिकारी माना जा रहा था। मगर कर्टली एम्ब्रोस और कोर्टनी वॉल्श जैसे दिग्गजों की वजह से उन्हें लंबे समय तक बेंच पर ही इंतजार करना पड़ा।