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वर्ल्ड चेस चैंपियन बनने के बाद भी D Gukesh को नहीं मिलेंगे ₹11 करोड़, देना होगा कितना टैक्स?

D Gukesh: भारतीय शतरंज खिलाड़ी D Gukesh को अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद ₹11 करोड़ का इनाम तो मिला, लेकिन उसके साथ उनको भारी-भरकम टैक्स भी चुकाना पड़ेगा। आइए जानते हैं...
04:17 PM Dec 16, 2024 IST | Ashutosh Ojha
वर्ल्ड चेस चैंपियन बनने के बाद भी d gukesh को नहीं मिलेंगे ₹11 करोड़  देना होगा कितना टैक्स
D Gukesh

D Gukesh: हाल ही में, भारत के युवा ग्रैंडमास्टर D Gukesh ने शतरंज की दुनिया में एक बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया। महज 18 साल की उम्र में, उन्होंने चीन के डिंग लिरेन को हराकर विश्व शतरंज चैंपियन का खिताब जीता। इस ऐतिहासिक जीत के साथ ही उन्हें ₹11 करोड़ की इनामी राशि मिली, जो किसी भी शतरंज खिलाड़ी के लिए एक सपना होती है। लेकिन इस बड़ी राशि के साथ एक और बड़ी चुनौती भी सामने आई है आयकर की भारी रकम। दरअसल, D Gukesh को अपनी इनामी राशि ₹11 करोड़ पर ₹4.67 करोड़ का भारी-भरकम इनकम टैक्स चुकाना पड़ेगा, जो लगभग 42.5% है। इस टैक्स प्राइज ने सोशल मीडिया पर गर्मागरम बहस छेड़ दी है।

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₹4.67 करोड़ का लिया जाएगा टैक्स

भारत में पुरस्कार पर लगने वाला इनकम टैक्स काफी ज्यादा होता है, खासकर जब इनाम की राशि एक तय सीमा से ऊपर हो। D Gukesh को मिले ₹11 करोड़ के इनाम में से ₹4.67 करोड़ टैक्स के रूप में कटेगा। यह उनके कुल इनाम का एक बड़ा हिस्सा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इतनी बड़ी रकम पर देश के सबसे ऊंचे टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगाया जाएगा। यह बताता है कि भारत में किसी भी चैंपियनशिप के जीतने के बाद मिलने वाले प्राइज मनी पर टैक्स दरें कितनी कड़ी होती हैं। खासकर जब किसी को बड़ी रकम मिलती है, तो उस पर भारी टैक्स देना पड़ता है। इस मामले ने इनाम पर टैक्स व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

सोशल मीडिया पर आ रहीं प्रतिक्रिया

गुकेश की जीत के बाद सोशल मीडिया पर इस टैक्स प्राइज को लेकर अगल-अगल प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोग इसे एक सही टैक्स व्यवस्था मानते हुए कहते हैं कि यह देश की अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए जरूरी है, वहीं कुछ लोगों का मानना है कि इतनी बड़ी रकम पर इतना भारी टैक्स प्राइज एक युवा खिलाड़ी के लिए बहुत बड़ी चुनौती हो सकती है। D Gukesh ने अभी तक इस कर मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उनकी जीत ने ना सिर्फ शतरंज के क्षेत्र में एक नया मुकाम स्थापित किया है, बल्कि इसने भारत की टैक्स व्यवस्था और अवॉर्ड प्राइज पर भी एक नई बहस को जन्म दिया है।

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