देहरादून के पृथ्वी सेनगुप्ता ने रचा इतिहास, आईपीएफ पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में जीता ब्रॉन्ज मेडल
Prithvi Samrat Sengupta: देहरादून के पावरलिफ्टर पृथ्वी सम्राट सेनगुप्ता ने आईपीएफ वर्ल्ड ओपन पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप 2024 में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने यहां 66 किलोग्राम वेट कैटेगिरी में भाग लिया था। पृथ्वी ने टूर्नामेंट में अपनी असाधारण इच्छाशक्ति और समर्पण का परिचय देते हुए ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया। यह टूर्नामेंट 10 से 16 नवंबर तक आइसलैंड में आयोजित किया गया था। पृथ्वी को लेकर उनकी मां ने कहा कि परिवार ने पहली बार वेटलिफ्टिंग में उनकी रुचि तब देखी, जब उन्होंने एक जिम में उन्हें वजन उठाते देखा।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया, 'पृथ्वी के डॉक्टर ने उसे कुछ शारीरिक गतिविधि में शामिल होने की सलाह दी थी क्योंकि डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों की मांसपेशियां अकसर कमजोर होती हैं। जब वह छह साल का था, तो हमने उसे एक जिम में शामिल होने के लिए खास परमिशन दी थी। यहीं पर हमने उसे वजन उठाने के लिए आकर्षित होते और अपने छोटे हाथों से उन्हें उठाने की कोशिश करते देखा। इसके बाद उसने वेटलिफ्टिंग शुरू कर दी और आखिरकार तीन साल पहले वो शौकिया तौर पर वेटलिफ्टिंग में शामिल हो गया। उसने दो साल पहले अमन वोहरा के तहत देहरादून में प्रोफेशनल ट्रेनिंग शुरू की है।'
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पृथ्वी को लेकर कोच वोहरा ने कहा कि वो काफी निडर है। उन्होंने बताया, 'उसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी कोचिंग स्ट्रेटजी में भी बदलाव करना पड़ा। दूसरे ट्रेनी की तरह ही मुझे कई बार धैर्य के साथ उन्हें तकनीक और स्ट्रेटजी को समझाना पड़ा। उसने इस सब चीजों को प्रभावी ढंग से समझा और कई टूर्नामेंट में लागू किया। सिर्फ दो साल के प्रोफेशनल ट्रेनिंग में उसने किर्गिस्तान में एशियाई पावरलिफ्टिंग चैम्पियनशिप और दक्षिण अफ्रीका में कॉमनवेल्थ पावरलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। आइसलैंड में वह 59 कंटेस्टेंट्स में सबसे कम उम्र के और एकमात्र भारतीय थे। हमारा अगला टारगेट 2028 पैरालिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना है।'
पृथ्वी को लेकर उनकी मां ने बताया कि कैसे उन्हें फैमिली फंक्शन और स्कूल में लोगों के ताने सुनने को मिला। उन्होंने कहा, 'पृथ्वी खास बच्चों के स्कूल में एडमिशन लेने से पहले एक रेगुलर स्कूल में पढ़ता था, लेकिन हमने देखा कि उसे अकसर दरकिनार कर दिया जाता था। यहां तक कि हमारे रिश्तेदार भी फैमिली फंक्शन के दौरान अपने बच्चों को उसके साथ खेलने नहीं देते थे। आज जब वह देश के लिए अवॉर्ड जीत रहा है, तो वही रिश्तेदार उसके साथ सेल्फी लेना चाहते हैं। इन तरह के बच्चों के माता-पिता से मैं यही कहना चाहती हूं कि कभी उम्मीद मत खोना। सही सपोर्ट के साथ वे आपको प्राउड फील करा सकते हैं।'
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