IND vs AUS: 'जब मैंने उन्हें रोते हुए देखा तो...', पिता के बलिदान को याद करते हुए नीतीश रेड्डी ने कही ये बात
Nitish Reddy Test Century: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मेलबर्न में चौथा टेस्ट मैच खेला जा रहा है। इस टेस्ट मैच के तीसरे दिन टीम इंडिया के युवा ऑलराउंडर नितीश कुमार रेड्डी ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने बॉक्सिंग टेस्ट मैच में अपने करियर का पहला शतक ठोक दिया है। इसी के साथ वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसके घर में शतक जमाने वाले तीसरे सबसे युवा भारतीय बल्लेबाज बन गए हैं। नीतीश कुमार रेड्डी के लिए ये शतक बहुत ज्यादा खास है क्योंकि इसे देखने के लिए उनके पिता स्टैंड में बैठे हुए थे। अपने बेटे को देखकर उनकी आंखों में भी आंसू गए थे।
'हमारे लिए ये पल खास है'
मैच के दौरान नीतीश के पिता ने एडम गिलक्रिस्ट को इंटरव्यू दिया था। इस दौरान उन्होंने कहा, "वो अपने स्टेट के लिए अंडर-14, अंडर-15 से खेल रहा है। अब वो इंटरनेशनल क्रिकेट में देश के लिए खेल रहा है। ये हमारे लिए खास पल है।
THE CELEBRATION FROM NKR'S FATHER IS SIMPLY AMAZING. 🥹❤️
- Nitish Kumar Reddy, you've made whole India proud. 🇮🇳#NithishKumarReddy #INDvsAUS #INDvAUS #AUSvIND #AUSvsIND pic.twitter.com/k4SxMUzZAX
— 𝐑𝐢𝐨𝐧𝐞𝐱 (@Rionex_) December 28, 2024
इस दौरान ग्रिलक्रिस्ट ने उनसे पूछा कि जब नीतीश 99 रनों पर नॉन स्ट्राइकर छोर पर थे और मोहम्मद सिराज स्ट्राइक पर थे और सिर्फ एक ही विकेट बचा था तो उन्हें क्या लग रहा था? इस सवाल जवाब देते हुए नीतीश के पिता ने कहा, "बहुत, बहुत टेंशन थी सर। सिर्फ आखिरी विकेट रह गया था और सिराज स्ट्राइक पर थे, टेंशन ही टेंशन थी।"
फायर नहीं वाइल्डफायर है! 🔥🔥
Nitish Kumar Reddy gets to his maiden CENTURY and what a stage to get it on!
He is now the leading run scorer for India in the ongoing BGT 🙌👏#TeamIndia #AUSvIND https://t.co/URu6dBsWmg pic.twitter.com/J8D08SOceT
— BCCI (@BCCI) December 28, 2024
पिता ने किए हैं बहुत त्याग
नीतीश कुमार रेड्डी के लिए यहां तक पहुंचना आसान नहीं था। नीतीश कुमार रेड्डी ने बताया कि उनके पिता ने उनके लिए काफी त्याग किए हैं। बीसीसीआई टीवी पर एक वीडियो में नीतीश ने कहा, "ईमानदारी से कहूं तो मैं जब छोटा था, तब मैं गंभीर नहीं था। मेरे पिता ने मेरे लिए अपनी नौकरी छोड़ दी और मेरी इस सफलता के पीछे उन्होंने बहुत त्याग किए हैं। एक दिन मैंने उन्हें वित्तीय समस्याओं के कारण रोते हुए देखा और मैंने सोचा कि वो इस तरह से नहीं रह सकते और फिर मैं गंभीर हो गया। जब मैंने अपनी पहली जर्सी उन्हें दी और उनके चेहरे पर मैंने खुशी देखी थी।"