हॉकी में जीता गोल्ड, क्रिकेट में बनाए 10000 रन, बदकिस्मत खिलाड़ी का आधे दिन में तबाह हो गया इंटरनेशनल करियर
Shortest Cricket Career Jack MacBryan: खेल की दुनिया में कई खिलाड़ी अपने हरफनमौला प्रदर्शन से हैरान करते नजर आते हैं। न सिर्फ एक, बल्कि कई खेलों में उनका हुनर देखने को मिलता है, लेकिन इसके बावजूद 'बदकिस्मती' उनका पीछा नहीं छोड़ती। आज हम एक ऐसे ही क्रिकेटर की बात करने जा रहे हैं, जिसे हॉकी में गोल्ड मिला। क्रिकेट में उसने 10 हजार से ज्यादा रन बनाए, लेकिन बदकिस्मती देखिए कि इसके बावजूद उनका इंटरनेशनल करियर सिर्फ आधे दिन में खत्म हो गया।
जैक मैक्ब्रायन ने सिर्फ एक मैच खेला
हम बात कर रहे हैं इंग्लैंड के क्रिकेटर जैक मैक्ब्रायन की। मैक्ब्रायन का जन्म 22 जुलाई 1892 को हुआ। जबकि मृत्यु उनके 91वें जन्मदिन से कुछ दिन पहले 14 जुलाई 1983 को हुई। उनका नाम इंग्लैंड के सबसे उम्रदराज जीवित टेस्ट क्रिकेटर के रूप में दर्ज था। स्कूल के दिनों से ही बेहतरीन खिलाड़ी रहे जैक ने समरसेट लाइट इन्फेंट्री जॉइन की। उन्होंने 1914 में प्रथम विश्व युद्ध में हिस्सा लिया। एक महीने बाद उन्होंने ले कैटेउ की लड़ाई में भाग लेने के लिए भेजा गया। जिसमें लड़ते हुए वे घायल हो गए। उन्हें बाद में बंदी बनाया गया। उन्होंने कुछ दिन जेल में भी बिताने पड़े।
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हॉकी में जीता गोल्ड
फर्स्ट क्लास क्रिकेट के धाकड़ खिलाड़ी ने 206 मैचों की 362 ईनिंग्स में 10322 रन बनाए। वह घरेलू क्रिकेट में समरसेट के लिए खेलते थे। उन्होंने फर्स्ट क्लास में 18 शतक और 48 अर्धशतक भी जड़े। खास बात यह है कि मैक्ब्रायन क्रिकेट के साथ-साथ हॉकी के भी उम्दा खिलाड़ी थे। उन्होंने 1920 ओलंपिक में हिस्सा लिया। जहां उन्होंने ग्रेट ब्रिटेन टीम के साथ गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया।
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किस्मत से मिला इंग्लैंड के लिए डेब्यू का मौका
फर्स्ट क्लास में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले मैक्ब्रायन को इंग्लैंड के लिए डेब्यू करने का मौका किस्मत से मिला, लेकिन उन्हें शायद ही पता होगा कि इस मैच के बाद उनकी किस्मत ही उन्हें धोखा दे देगी। हुआ यूं कि 1924 में इंग्लैंड की टीम दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू सीरीज खेल रही थी। चौथे टेस्ट में धाकड़ खिलाड़ी जैक हॉब्स को आराम दिया गया। उसी मैच में मैक्ब्रायन को डेब्यू करने का मौका मिल गया, लेकिन मौसम ने दगा देना शुरू कर दिया। इंग्लैंड की टीम सिर्फ आधे दिन तक ही खेल सकी। इस मैच में मैकब्रायन को बल्लेबाजी, गेंदबाजी या फील्डिंग किसी भी चीज का मौका नहीं मिला। बाद में हॉब्स को अंतिम टेस्ट के लिए वापस बुलाया गया। इसके बाद मैक्ब्रायन टीम से बाहर हो गए। बदकिस्मत मैक्ब्रायन को फिर इंग्लैंड के लिए खेलने का कभी दूसरा मौका नहीं मिला। वह 1925 में विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुने गए थे।
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