रोजी रोटी के लिए करता था दिहाड़ी मजदूरी ये खिलाड़ी, 28 साल बाद भारत को बनाया वर्ल्ड चैंपियन
Munaf Patel:क्रिकेट की दुनिया में खिलाड़ियों संघर्ष की कहानी बहुत सी है। लेकिन इन सब में मुनाफ पटेल की कहानी है। 1983 में जब टीम इंडिया में वर्ल्ड कप जीता था। तब ही भारत के बॉर्डर जिले यानी गुजरात के भरूच में मुनाफ पटेल का जन्म हुआ था। एक समय मुनाफ पटेल रोजी रोटी के लिए दिहाड़ी मजदूरी करते थे। लेकिन बाद में उन्होंने भारत को 28 साल बाद वर्ल्ड कप कप दिलाने में महत्वपूर्ण अदा की थी।
वसीम अकरम को देखकर शुरू की तेज गेंदबाजी
मुनाफ को बचपन बहुत ज्यादा संघर्ष में बीता है। एक समय पर उनके के पिता रोजाना 7 रुपये कमाते थे। मुनाफ पटेल ने खुद भी मजदूरी की है. एक बार इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि उनके गांव में कुछ परिवारों के पास टीवी थे। मैंने वहीं पर वर्ल्ड सीरीज देखी थी। इस टूर्नामेंट में वसीम अकरम ने छक्का लगाकर पाकिस्तान को जीत दिलाई थी। वसीम अकरम को गेंदबाजी करते हुए देखना ही उन्होंने गेंदबाजी करने का फैसला किया था।
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किरन मोरे ने खोजा मुनाफ पटेल को
भारतीय टीम के पूर्व विकेटकीपर किरण मोरे ने मुनाफ पटेल को खोजा था। उन्होंने मुनाफ पटेल ने गेंदबाजी करते हुए देखा था। इसके बाद उन्होंने मुनाफ पटेल को एमआरएफ पेस फाउंडेशन भेज दिया था। जहां पर उन्होंने न्होंने टीए शेखर और डेनिस लिली के अंडर ट्रेनिंग ली थी। एक समय पर उन्हें भारत का सबसे तेज गेंदबाज कहा जाता था। उन्होंने रणजी में मुंबई को चुना था। इस दौरान उनकी मदद की थी। सचिन तेंदुलकर ने ही मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के अधिकारियों की बात की थी।
बने वर्ल्ड कप जीतने वाले मेंबर
प्रवीण कुमार चोट की वजह से 2011 में वर्ल्ड कप से बाहर हो गए थे। इस दौरान उन्हें टीम में जगह मिली थी। उन्हें तीसरे सीमर के रूप में खिलाया गया था। वो भारत के लिए वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर थे। उन्होंने 11 विकेट हासिल किए थे। बोलिंग कोच एरिक सिमंस ने भी उनकी तारीफ की थी। उन्होंने मुनाफ पटेल को छुपा रुस्तम कहा था।
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