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शूट‍िंग की दुन‍िया के 'धोनी' स्‍वपन‍िल, माही की तरह ट्रेन से शुरू क‍िया सफर, जानें कौन हैं Swapnil Kusale

Paris Olympics 2024: पेरिस ओलंपिक-2024 में भारत ने अपना तीसरा मेडल जीत लिया है। स्वापनिस कुसाले ने ये मेडल अपने नाम किया है। 
01:55 PM Aug 01, 2024 IST | mashahid abbas
शूट‍िंग की दुन‍िया के  धोनी  स्‍वपन‍िल  माही की तरह ट्रेन से शुरू क‍िया सफर  जानें कौन हैं swapnil kusale
Swapnil Kusale

Swapnil Kusale Olympic Medal: स्वप्निल कुसाले ने अपने पहले ही ओलंपिक में इतिहास रचते हुए भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया है। स्वापनिल ने ये मेडल शूटिंग की 50 मीटर राइफल-3 में जीता है। पेरिस ओलंपिक में अब तक भारत को तीनों ही मेडल निशानबाजी में ही मिले हैं। स्वप्निल कुसाले ने फाइनल मैच में युक्रेन के शेरी कुलिश के खिलाफ करीबी मुकाबले में ये कांस्य पदक अपने नाम किया है।

स्वप्निल कुसाले पुरुषों की 50 मीटर राइफल-3 पोजीशन में पदक हासिल करने वाले पहले भारतीय निशानेबाज बन गए हैं। इससे पहले 2012 के लंदन ओलंपिक में जॉयदीप करमाकर ने इस इवेंट में चौथा स्थान हासिल किया था। आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर ये स्वप्निल कुसाले कौन हैं, जिन्होंने पेरिस ओलंपिक में ये कीर्तिमान स्थापित किया है।

कौन हैं स्वाप्निल कुसाले

स्वप्निल कुसाले पुणे के रहने वाले हैं और किसान परिवार से आते हैं। स्वाप्निल ने 2009 से निशानेबाजी करना शुरू किया था। उनके पिता ने महाराष्ट्र के प्राथमिक क्रीड़ा प्रबोधिनी में उनका दाखिला कराया और एक साल के बाद स्वाप्निल ने निशानेबाजी के खेल को अपने करिअर के रूप में चुना था। निशानेबाजी में कदम रखने के बाद स्वाप्निल ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2013 में ही उन्हें लक्ष्य स्पोर्ट्स से स्पॉन्सशिप भी मिल गई थी।

कैसा है पारिवारिक बैकग्राउंड

स्वप्निल कुसाले के पिता और भाई दोनों ही शिक्षक हैं। वहीं, उनकी मां गांव की सरपंच हैं। स्वप्निल ने जब निशानेबाजी को अपने खेल करिअर के रूप में चुना तो उनके पार गोलियां खरीदने के पैसे भी नहीं थे। लेकिन, पिता ने किसी भी तरह करके बेटे को निशानेबाजी के हुनर सिखाए। स्वप्निल ने भी पिता की उम्मीदों को धूमिल नहीं किया और ओलंपिक में पदक जीतकर इतिहास रच दिया।

महेंद्र सिंह धोनी से है खास कनेक्शन

स्वप्निल कुसाले वर्ष 2015 से ही रेल विभाग में अपनी सेवा दे रहे हैं। जिस तरह महेंद्र सिंह धोनी ने टिकट कलेक्टर से लेकर टीम इंडिया के कप्तान बनने तक का सफर तय किया था। ठीक उसी तरह स्वप्निल भी टिकट कलेक्टर का काम करते हैं। स्वप्निल महेंद्र सिंह धोनी को अपना आदर्श भी मानते हैं। उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी के जीवन पर बनी बॉयोपिक फिल्म को 100 से अधिक बार देखा है।

बटोर चुके हैं कई उपलब्धियां 

स्वप्निल ने अपना पहला पदक 2015 के एशियाई शूटिंग चैंपियनशिप में जीता था। कुवैत में आयोजित इस टूर्नामेंट में स्वप्निल ने 50 मीटर राइफल प्रोन-3 की स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर सभी को दंग कर दिया था। इसके बाद स्वप्निल ने गगन नारंग और चैन सिंह जैसे स्टार निशानेबाजों को पीछे छोड़ते हुए 59वीं राष्ट्रीय शूटिंग चैम्पियनशिप अपने नाम की थी। इसके अलावा उन्होंने तिरुवनंतपुरम में 61वीं राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में भी अपना दबदबा बनाते हुए 50 मीटर राइफल पोजीशन-3 में स्वर्ण पदक जीता।

कैसे पाया ओलंपिक का कोटा 

स्वप्निल कुसाले ने 2022 में काहिरा में हुई विश्व चैंपियनशिप में चौथा स्थान हासिल किया था। विश्व चैंपियनशिप में उनके इसी प्रदर्शन के दम पर उन्हें भारत के लिए ओलंपिक कोटा मिला था। ओलंपिक में कोटा पाने के बाद भी स्वप्निल ने 2022 के एशियाई खेलों की टीम स्पर्धा में स्वर्ण, 2023 के विश्व कप में मिश्रित टीम इवेंट में स्वर्ण और व्यक्तिगत 2 रजत पदक अपने नाम किया था।

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