Paris Olympics: क्या भारतीय बॉक्सर निशांत देव के साथ हो गई चीटिंग? सोशल मीडिया पर भड़के फैंस
Paris Olympics Nishant Dev Boxing Marco Verde Cheating Trending: भारतीय बॉक्सर निशांत देव पेरिस ओलंपिक्स में इतिहास रचने से चूक गए। वह पुरुषों के 71 किग्रा क्वार्टर फाइनल में मैक्सिको के मार्को वर्डे से मुकाबला करने उतरे, लेकिन इस मैच में उन्हें हैरान कर देने वाली हार मिली। निशांत देव ने पहला राउंड शानदार प्रदर्शन कर जीत लिया था। इसके बाद दूसरे राउंड में भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन कर प्रतिद्वंद्वी पर कड़े प्रहार किए थे, लेकिन इस राउंड का परिणाम 3-2 से वर्डे के पक्ष में रहा।
इसके बाद तीसरे राउंड के नतीजे ने निशांत देव को निराश कर दिया। तीसरे राउंड के बाद रेफरी ने मार्को वर्डे का हाथ उठाया। जिससे निशांत देव हैरान नजर आए। उन्हें शायद इसकी उम्मीद नहीं थी। जजों के निर्णय के अनुसार, वर्डे के पक्ष में अंतिम दो राउंड गए। वह क्वार्टरफाइनल में 4-1 से जीत हासिल करने में सफल रहे। वर्डे ने इसी के साथ सेमीफाइनल में जगह बना ली है। अब उनका मेडल पक्का हो गया है।
सोशल मीडिया पर भड़के फैंस
निशांत की इस आश्चर्यजनक हार के बाद सोशल मीडिया पर फैंस भड़क गए हैं। एक्स पर लगातार 'चीटिंग' और 'रॉब्ड' ट्रेंड कर रहा है। फैंस का आरोप है कि निशांत देव को जानबूझकर हराया गया।
मुक्केबाजी में धांधली का आरोप
एक फैन ने तो यहां तक लिखा- यह डकैती है! निशांत देव स्पष्ट रूप से विजेता थे। मुक्केबाजी में इतनी धांधली होती है कि कोई नहीं जानता कि जज कैसे स्कोर कर रहे हैं। इस खेल में पारदर्शिता का कोई पैमाना नहीं है। डब्ल्यूडब्ल्यूई मैच इसकी तुलना में अधिक मायने रखते हैं। वहीं एक ने लिखा- आप निशांत देव के दबदबे वाले पहले दो राउंड को कैसे नजरअंदाज कर सकते हैं? उसने प्रतिद्वंद्वी को बिल्कुल ध्वस्त कर दिया था।
इतिहास रचने से चूके
निशांत देव इसी के साथ इतिहास रचने से चूक गए। अगर वे जीत दर्ज करते तो सेमीफाइनल में पहुंचकर भारत के लिए एक और मेडल पक्का कर सकते थे। वह ऐसे चौथे भारतीय मुक्केबाज बन जाते। भारत के लिए अब तक विजेंदर सिंह, मैरी कॉम और लवलीना बोरगोहेन ने ही मुक्केबाजी में मेडल जीते हैं।
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ताशकंद में ब्रॉन्ज जीत चुके हैं निशांत देव
निशांत देव का जन्म हरियाणा के करनाल में 23 दिसंबर 2000 को हुआ था। भारतीय मुक्केबाज ने उज्बेकिस्तान के ताशकंद में आईबीए पुरुष विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में 71 किलोग्राम वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था। एक समय ऐसा था, जब निशांत का करियर चोट के चलते खत्म होने वाला था, लेकिन वह इससे उबरे और पेरिस ओलंपिक्स तक पहुंचे।
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