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श्रीसंत को मैच फिक्सिंग केस में कैसे मिली राहत? दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर का बड़ा खुलासा

S. Sreesanth News Update : देश में मैच फिक्सिंग के मामले से अक्सर खिलाड़ी बच जाते हैं। इस केस में कानून ज्यादा सख्त नहीं है, इसलिए पुख्ता सबूत होने के बाद भी श्रीसंत जैसे व्यक्ति बच निकलते हैं। दिल्ली के पूर्व कमिश्नर ने यह बात कही है।
04:10 PM Apr 07, 2024 IST | Deepak Pandey
मैच फिक्सिंग केस में कैसे बचे थे श्रीसंत?
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S. Sreesanth News Update : देश में मैच फिक्सिंग का मामला अक्सर सामने आता रहा है। इस केस से खिलाड़ी कैसे बच निकलते हैं? इसे लेकर दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्वर ने रविवार को बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि भारतीय खेलों में भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून ज्यादा सख्त नहीं है। यही वजह है कि स्पॉट फिक्सिंग के पुख्ता सबूत होने के बाद भी इंडिया क्रिकेट टीम के पूर्व तेज गेंदबाज एस श्रीसंत जैसे खिलाड़ी बच जाते हैं। आईपीएल 2013 में मैच फिक्सिंग के मामले में श्रीसंत का नाम सामने आया था।

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सबूत के बाद भी बच गए थे श्रीसंत

दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार के नेतृत्व में ही स्पेशल सेल की टीम ने स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में श्रीसंत और राजस्थान रॉयल्स के उनके साथी क्रिकेटरों अजीत चंदीला और अंकित चव्हाण को गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में कहा था कि पूर्व खिलाड़ी के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और उन्होंने बीसीसीआई को आजीवन प्रतिबंध लगाने पर फिर से विचार करने के लिए कहा था, लेकिन अंत में सजा को घटाकर 7 साल सस्पेंड कर दिया गया, जोकि साल 2020 में खत्म हो गया।

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क्रिकेट में भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कानून नहीं

नीरज कुमार ने कहा कि हमारे देश के क्रिकेट में भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कानून नहीं है। अगर दूसरे देशों की बात करें तो जिंबाब्वे, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जैसे देशों में कानून है। सिर्फ क्रिकेट में नहीं, बल्कि फुटबॉल, टेनिस, गोल्फ में भी भ्रष्टाचार है। उन्होंने कहा कि खेलों में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुकदमा चलाने में कानून का अभाव है।

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बिना पीड़ित के मामले को कोर्ट में साबित करना मुश्किल

पूर्व पुलिस कमिश्वर ने कहा कि जब हम अदालत में कहते हैं कि मैच फिक्सिंग से लोगों को धोखा दिया गया तो कोर्ट पूछती है कि किसको धोखा मिला, उसे लेकर आओ। ऐसे में कौन व्यक्ति कोर्ट में आकर कहेगा कि मैं निष्पक्ष क्रिकेट मैच देखने के लिए गया था? इसकी वजह से बिना किसी पीड़ित के इस मामले को कोर्ट में साबित करना मुश्किल होता है।

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