जुगराज सिंह: कभी बॉर्डर पर बेचा पानी, पिता थे कुली; अब भारत को जिता दी चैंपियंस ट्रॉफी
Jugraj Singh: एशियन चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में भारतीय हॉकी टीम ने हरमनप्रीत सिंह की कप्तानी में शानदार खेल दिखाया और मेजबान चीन को 1-0 से हराकर इतिहास रच दिया। फाइनल में मुकाबला टक्कर का खेला गया। भारत की ओर से जुगराज सिंह एकमात्र गोल करने वाले खिलाड़ी रहे। उन्होंने 51वें मिनट में गोल दाग कर भारतीय टीम की जीत सुनिश्चित की। हालांकि जुगराज सिंह की कहानी काफी संघर्ष भरी है। टीम इंडिया में कदम रखने से पहले उन्होंने पानी तक बेचने का काम किया है।
जुगराज सिंह का संघर्ष
जुगराज सिंह का जन्म पंजाब के अटारी में हुआ था। अटारी भारत और पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है। जिंदगी के शुरुआती दौर में जुगराज सिंह के परिवार की हालत काफी खराब थी। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से उन्हें भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर पानी की बोतलें तक बेंचने पड़े। उनके पिता भी कुली का काम करते थे। उन्होंने अपने परिवार की बदहाल स्थिति को सुधारने के लिए भारतीय हॉकी टीम के लिए खेलने का सपना देखा। बिना किसी कोचिंग के उन्होंने भारतीय टीम के लिए खेला। अब उन्होंने एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में भारत को अपने गोल के दम पर खिताब भी जिताया।
2016 में चमकी किस्मत
जुगराज सिंह ने शमशेर सिंह और चतारा सिंह को अपना आइडल माना। क्योंकि ये दोनों खिलाड़ी भी जुगराज सिंह के गांव के ही थे। साल 2011 में जुगराज का चयन पीएनबी के लिए हुआ, जहां उन्हें 3500 रुपये स्टाइपेंड के रूप में मिलते थे। इसके बाद साल 2016 में उनकी भारतीय नौसेना में एंट्री होती है। उन्हें पैटी ऑफिसर का पद दिया जाता है। इस दौरान उन्हें 35 हजार रुपये मिलते थे। इस नौकरी के बाद जुगराज सिंह के घर की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया। जुगराज सिंह ने पेरिस ओलंपिक में भारत को कांस्य पदक जिताने में मदद की थी। इन दिनों वह भारतीय हॉकी टीम के सबसे अहम खिलाड़ी में से एक हैं।
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