कब्रिस्तान और बस अड्डे पर सोने वाले ने दिलाई वर्ल्ड कप की ट्रॉफी! विराट कोहली ने किया खुलासा
T20 World Cup 2024 में भारतीय टीम ने खिताब अपने नाम कर लिया है। टीम की जीत में खिलाड़ियों के अलावा कोच की भी मुख्य भूमिका रही है। इस बीच टीम के सपोर्टिंग स्टॉफ में एक ऐसा भी खिलाड़ी था जो पर्दे के पीछे से भारत को चैंपियन बनाने की हर संभव कोशिश कर रहा था। ये कोई खिलाड़ी या कोच नहीं बल्कि टीम को थ्रोडाउन कराने वाले राघवेंद्र हैं। राघवेंद्र ने कभी कब्रिस्तान और हवाई अड्डे पर सोकर रात गुजारी थी। पढ़ें राघवेंद्र के संघर्षों की कहानी और जानें इन्होंने भारत को चैंपियन बनाने में कौन सी भूमिका निभाई।
संघर्ष भरा रहा जीवन
राघवेंद्र कर्नाटक के कुमटा के रहने वाले हैं। उन्हें बचपन से ही क्रिकेट के प्रति खास लगाव रहा है। पिता की असहमति के बावजूद वह क्रिकेट से दूर नहीं रह पाते थे। पिता स्कूली शिक्षक थे और वह राघवेंद्र के क्रिकेट के इस जुनून को समझ नहीं पाए। वह राघवेंद्र को पढ़ाई पर केंद्रित करने के लिए कहते। नतीजा ये हुआ कि राघवेंद्र ने अपना घर और स्कूल दोनों छोड़ दिया। मन में बस एक जुनून सवार था कि मुंबई जाकर सचिन तेंदुलकर के कोच रमाकांत अचरेकर से क्रिकेट के गुर सीख लूं।
मुंबई आकर राघवेंद्र के पास ठहरने की भी जगह नहीं थी। कभी मंदिर के बाहर सोकर रात गुजारी तो कब्रिस्तान में नींद पूरी की। कभी-कभी बस अड्डे पर ही सोकर पूरी रात गुजार दी। मुंबई में राघवेंद्र ने कई क्लब से क्रिकेट खेलने की कोशिश की लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। राघवेंद्र ने हार नहीं मानी और मुंबई से बेंगलुरू पहुंच गए। यहां नेशनल क्रिकेट एकेडमी में थ्रो डाउन का काम करने लगे। बस यहीं से राघवेंद्र के थ्रो डाउन बनकर इंडिया टीम के साथ जुड़ने का सफर शुरू हुआ।
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2008 में बदली किस्मत
2008 में राघवेंद्र की किस्मत ने पलटी मारी। बीसीसीआई ने उन्हें अपने साथ जोड़ा। वह भारतीय टीम के प्रशिक्षण सहायक के रूप में जुड़ गए। वह खिलाड़ियों को नेट पर गेंद डालकर अभ्यास भी कराते थे। राघवेंद्र ने द्रविड़ को नेट्स पर थ्रोडाउन कराया तो वह राघवेंद्र से काफी प्रभावित हो गए। द्रविड़ के कहने पर राघवेंद्र को बीसीसीआई ने 2008 में भारतीय टीम के खिलाड़ियों को नेट्स में थ्रोडाउन करने का काम सौंप दिया। फिर राघवेंद्र ने सचिन तेंदुलकर को भी घंटों नेट्स पर गेंदबाजी की। द्रविड़ और सचिन के पॉजीटिव रिस्पांस पर बीसीसीआई ने राघवेंद्र के काम को परमानेंट कर दिया। राघवेंद्र दिसंबर 2011 से लगातार टीम इंडिया के साथ जुड़े हुए हैं और हर टीम के साथ हर दौरे पर ट्रैवेल करते हैं।
Virat Kohli once said, "facing Raghu's 150kmph deliveries in the nets makes the fastest bowlers seem like medium pacers during matches."
- Raghu, Team India's Throwdown Specialist! pic.twitter.com/pPYSDfEvmZ
— Mufaddal Vohra (@mufaddal_vohra) July 2, 2024
क्या होता है थ्रोडाउन
थ्रोडाउन का मतलब होता है कि नेट्स पर बल्लेबाजों को प्रैक्टिस कराना। राघवेंद्र भारतीय टीम के हर खिलाड़ी को नेट्स के दौरान पिच की लंबाई की आधी दूरी से फास्ट बॉलिंग फेस करने की गजब की प्रैक्टिस कराते हैं। इससे हर खिलाड़ी को उछाल वाली गेंद का अभ्यास होता है। इसे ही थ्रोडाउन कहा जाता है।
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क्या बोले विराट कोहली
भारतीय टीम के "थ्रोडाउन विशेषज्ञ" के रूप में राघवेंद्र की भूमिका से सब वाकिफ हैं। अभ्यास सत्रों में खिलाड़ियों को 'थ्रोडाउन' प्रदान करने का उनका अनुभव और टैलेंट शानदार है। रघु की गेंद खेलने के बाद उन्हें ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों की पिचों की गति और उछाल के हिसाब से खेल खेलने में अतिरिक्त मदद मिलती है। वह काफी मददगार होते हैं। मैं ही नहीं बल्कि तमाम दिग्गज भी राघवेंद्र की सराहना करते हैं। विराट कोहली का कहना है कि 2013 से वह तेज गेंदबाजों को काफी अच्छा खेल रहे हैं। इसमें रघु का योगदान रहा है।
Virat Kohli with Raghu the Unsung Hero of Team India. 🙌
- What a precious Picture. ❤️ pic.twitter.com/IFprgKVlie
— Tanuj Singh (@ImTanujSingh) July 1, 2024
150 की स्पीड से फेंकते हैं गेंद
राघवेंद्र बल्लेबाजों को नेट पर 150 की रफ्तार से गेंद फेंक कर प्रैक्टिस कराते हैं। नेट पर राघवेंद्र की गेंद खेलने के लिए टीम के खिलाड़ियों के बीच जद्दोजहद भी हुआ करती है। वहीं, राघवेंद्र से तेज गेंदबाज भी काफी चीजें सीखते हैं। विराट कोहली का कहना है कि राघवेंद्र की गेंद खेलने के बाद खासतौर पर ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका जैसे देशों की पिच पर खेलना थोड़ा आसान हो जाता है।
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2022 के वर्ल्ड कप में किया गजब कारनामा
टी20 वर्ल्ड कप 2022 में भारत और बांग्लादेश के बीच एडिलेड में मैच हुआ था। इस मैच को भारत 5 रन से जीता था लेकिन टीम की इस जीत में राघवेंद्र की बड़ी भूमिका थी। दरअसल मैच के दौरान बारिश हो गई थी और आउटफील्ड पूरा गीला हो गया था। भारत को मैच जीतना था। ऐसे में राघवेंद्र बाउंड्री लाइन पर बैठ गए और बारी-बारी खिलाड़ियों के जूते को ब्रश से साफ करते रहे ताकि खिलाड़ियों को दौड़ने में दिक्कत का सामना न करना पड़े। उनके इस काम ने भारत की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी।
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कई देश से आए ऑफर, ठुकराया
राघवेंद्र को कई देशों से ऑफर आए कि वह उनकी टीम के साथ जुड़कर काम करें। इसके साथ ही उन्हें आईपीएल से भी कई ऑफर आए लेकिन राघवेंद्र ने सभी ऑफरों को ठुकरा दिया। वह टीम इंडिया के साथ ही जुड़े रहे।