AUS vs IND: पुजारा बिना क्यों अधूरी है टीम इंडिया? एक कमजोरी से बिगड़ ना जाए ऑस्ट्रेलिया में पूरा खेल
शुभम मिश्रा। IND vs AUS 1st Test: साल 2018 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर 521 रन। 2020-21 टूर पर 271 अहम रन। गाबा के मैदान पर मिली ऐतिहासिक जीत का असली सूरमा। हम बात चेतेश्वर पुजारा की कर रहे हैं। वही पुजारा जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया के घमंड को एक नहीं, बल्कि दो बार तोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। वही पुजारा जो गाबा में शरीर पर अनगिनत गेंदें खाने के बावजूद क्रीज पर किसी चट्टान की तरह खड़े रहे थे। 2018 हो या फिर 2020-21 का दौरा, पुजारा के बुलंद हौसलों के आगे कंगारू टीम के दिग्गज तेज गेंदबाजों को घुटने टेकने ही पड़े थे। मगर इस बार की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी की कहानी अलग है।
पुजारा से भारतीय सिलेक्टर्स आगे बढ़ गए हैं और इस बार टीम इंडिया की दीवार कहे जाने वाले पुजारा टीम का हिस्सा नहीं हैं। ऑस्ट्रेलिया पहुंचते ही टीम इंडिया को पुजारा की याद सताने लगी है। भारतीय टीम मैनेजमेंट के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि नंबर तीन पर पुजारा की तरह कंगारू तेज गेंदबाजों से लोहा कौन लेगा ? पर्थ, एडिलेड, सिडनी या गाबा जैसे मैदानों पर वो कौन सा बल्लेबाज होगा, जो एक छोर पर खूंटा गाड़कर खड़ा होगा? इस सवाल ने भारतीय खेमे की नींद उड़ा रखी है, क्योंकि सीरीज के आगाज से पहले ही टीम के बैटिंग ऑर्डर में यह कमी साफतौर पर दिखाई दे रही है।
कौन पूरी करेगा पुजारा की कमी?
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर आई टीम इंडिया के बैटिंग ऑर्डर पर नजर दौड़ाई जाए, तो नंबर तीन की पोजीशन शुभमन गिल के लिए रखी गई है। मगर गिल तो पर्थ टेस्ट से पहले ही खुद को चोटिल कर बैठे हैं। गिल कब तक फिट होंगे इसका भी अभी टीम मैनजेमेंट के पास कुछ क्लियर जवाब नहीं है। देवदत्त पडिक्कल की टीम में एंट्री हुई है, जो शायद नंबर तीन पर कम से कम पहले टेस्ट में खेलते हुए दिखाई देंगे। मगर यह पडिक्कल का खुद ही पहला ऑस्ट्रेलिया दौरा है। कंगारू तेज गेंदबाजों की लहराती हुई गेंदों के सामने पडिक्कल टिक पाएंगे या नहीं यह कहना बड़ा मुश्किल है। पडिक्कल के पास सिर्फ एक ही टेस्ट मैच खेलने का अनुभव है। यानी सीरीज के पहले ही टेस्ट में भारतीय टीम पुजारा को याद करती हुई नजर आएगी।
चलिए मान लेते हैं कि शुभमन गिल दूसरे टेस्ट मैच के लिए फिट भी हो जाते हैं और नंबर तीन पर खेलते भी हैं। मगर नंबर तीन की पोजीशन पर गिल के पास विदेशी सरजमीं पर खेलने का अनुभव ना के बराबर है। जोश हेजलवुड, मिचेल स्टार्क और पैट कमिंस की आग उगलती हुई गेंदों के सामने गिल खुद को संभाल पाएंगे? गिल अटैकिंग क्रिकेट खेल सकते हैं और उनकी तकनीक भी मजबूत है। मगर दबाव की स्थिति में गिल पुजारा की तरह धैर्य दिखा पाएंगे या नहीं यह अपने आप में बड़ा सवाल है। 100 गेंदें खेलकर सिर्फ 10 रन बनाकर भी अपने संयम पर काबू रख पाना पुजारा जैसे दिग्गज बल्लेबाज के बस की ही बात नजर आती है। गिल से उम्मीदें तो बहुत है, पर वह उस पर खरे उतर पाएंगे या नहीं यह देखना दिलचस्प होगा।
कमजोरी करेगी पूरी सीरीज में परेशान
पुजारा की कमी भारतीय टीम को साफतौर पर अखरने वाली है। नंबर तीन की गुत्थी भारतीय टीम को पूरे दौरे पर परेशान कर सकती है। इसकी बड़ी वजह भारतीय बैटिंग ऑर्डर का आउट ऑफ फॉर्म होना भी है। रोहित शर्मा के बल्ले से रन नहीं निकल रहे हैं। वहीं, विराट कोहली का भी हाल बेहाल है। कोहली अगर रंग में होते, तो शायद नंबर तीन की पोजीशन के लिए उनसे बेहतर बल्लेबाज कोई नहीं होता। मगर सच्चाई तो यह है कि नंबर तीन पर खेलते हुए विराट खुद ही संघर्ष करते हैं।
नंबर तीन पर खेली 8 पारियों में विराट 23 की औसत से सिर्फ 167 रन ही बना सके हैं। इस बार टीम में अजिंक्य रहाणे भी नहीं हैं, जो कोहली के ऊपर खेलने पर मिडिल ऑर्डर की जिम्मेदारी ले सकें। सरफराज खान, ध्रुव जुरैल, देवदत्त पडिक्कल जैसे युवा खिलाड़ियों के लिए ऑस्ट्रेलिया का यह टेस्ट कतई आसान नहीं होगा। शुभमन गिल अगर नंबर तीन पर हिट नहीं हुए, तो भारतीय बल्लेबाजी क्रम पूरी तरह से दबाव में आ जाएगा, जिसका सीधा असर सीरीज के नतीजे पर पड़ना तय मानिए।