Manthan Uttar Pradesh: 'मंदिर जाने वाले ओल्ड फैशन...' Malini Awasthi ने बताया यूपी का अध्यात्म से कनेक्शन
Malini Awasthi: "जहां राम कन्हैया ने जन्म लिया...जहां बाबा ने अपनी धुन रमाई... जहां गौतम बुद्ध ने उपदेश दिया...जहां पहुंच निर्वाण ले आई, राम सिया राम सिया राम जय जय राम" यह बोल थे मशहूर लोक गायिका मालिनी अवस्थी के। मालिनी अवस्थी ने आज न्यूज 24 के 'मंथन' (Manthan) शो में शिरकत की। जिस दौरान उन्होंने भगवान राम से लेकर अयोध्या, काशी और नए भारत को काफी खूबसूरत अंदाज में पेश किया।
आस्था बनी आर्थिक रथ का पहिया
मालिनी अवस्थी ने इस कार्यक्रम की शुरुआत भगवान राम के जयकारे से की। जिसके बाद 'सिया वर राम चंद्र की जय' की गूंज सुनाई देने लगी। शो के दौरान मालिनी अवस्थी ने देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की अर्थव्यस्था में अध्यात्म के योगदान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि, उत्तर प्रदेश हमेशा से धर्म और अध्यात्म की धरती रही है। राम और कृष्ण ने जहां जन्म लिया हो। जो देवी का जन्म स्थल रहा हो। जहां पर भोलेनाथ वास करते हों। जहां गंगा, जमना सरस्वती एक अभूतपूर्व त्रिवेणी का सृजन करती हैं। जहां गौतम बुद्ध आकर पहला उपदेश देते हैं और यहीं से प्रस्थान करते हैं। आज उस उत्तर प्रदेश की वह धार्मिक आस्था एक आर्थिक रथ का पहिया भी बन गई है। जो मुझे लगता है कि भारत की 75वीं वर्षगांठ में एक बदली हुई मानसिकता को दर्शाता है।
मंदिर जाने वाले नहीं रहे ओल्ड फैशन
मालिनी अवस्थी ने कहा कि, वास्तव में भारत है क्या? हमारी सबसे बड़ी शक्ति और अधात्यमिक शक्ति है। लेकिन बहुत दुखद बात है कि जो कोई मंदिर जाता था उसका उपहास उड़ाया जाता था। जो मंदिर जाता था उसे पुरातनपंथी, पिछड़ी हुई सोच और दकियानूसी माना जाता था। कुल मिलाकर मंदिर जाने वाला ओल्ड फैशन था। फिल्मों में भी आप देख लीजिए किस तरह चीजें दिखाई जाती थीं। वो सब कुछ आज बदल गया है। उत्तर प्रदेश की जो सबसे बड़ी शक्ति थी, उसकी आध्यात्मिक शक्ति आज नाम ना सिर्फ पर्यटन और आस्था के सबसे बड़े केंद्र बन गए बल्कि देश की आर्थिक समृद्धि में भी योगदान कर रहे हैं। यह मुझे लगता है कि सबसे बड़ा टर्न अराउंड है।
मालिनी अवस्थी की जर्नी
मालिनी का कहना था कि, एक कलाकार के रूप में, जिसने जन्म लिया कन्नौज में और पली-पढ़ी मिर्जापुर में। वहां का विंध्यवासिनी के मंदिर का इतना सुंदर प्रांग्ण बना है। गोरखनाथ की धरती पर मेरा पालन पोषण हुआ। जहां का गोरखनाथ मंदिर हमेशा से स्वच्छता और अनुशासन के एक नया मापदंड रखता था। इसके अलावा मैं अयोध्या और काशी में रही हूं।
अयोध्या में आए आंसू
अयोध्या का जिक्र करते हुए मालिनी अवस्थी ने बताया कि, मैं 26 साल पहले अयोध्या में थी। तब रामलला एक त्रिपाल में थे। हमने वो नजारा देखा है। हम वैसे सलाखों में घिरे रामलला के दर्शन करने जाते थे। ऐसे में प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन राम लला के प्रकाट देखकर दिल भर आया। हमें वहां सोहर गाने के लिए आमत्रित किया गया था। मैं वहां पर खड़ी थी और वो खुशी के आंसू भावविभोर करने वाले थे। इसी के साथ मालिनी अवस्थी ने 22 जनवरी को अयोध्या में गाया सोहर भी दर्शकों को गाकर सुनाया।
कुंभ से मिला बदलाव का संकेत
मालिनी अवस्थी के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा बदलाव का संकेत हमें कुंभ से मिला था। कुंभ में रिकॉर्ड 23-24 करोड़ यात्री आए। प्रयाग में जो स्वच्छता थी, जो व्यव्स्था थी और जिस प्रकार के टेंट थे। लोंगो के आने-जाने की इतनी सुविधा थी कि जो कभी कुंभ नहीं आया वो भी पहली बार कुंभ आया था। इसी कार्यक्रम के दौरान मालिनी अवस्थी ने काशी विश्वनाथ धाम का जिक्र करते हुए बाबा की होली पर समा बांध दिया।