whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.
Advertisement

यहां हो जाता है कालसर्प दोष का The End , विराजमान हैं स्वयं गरुड़ भगवान

Garuda Dev Mandir: देश में भगवान विष्णु को समर्पित तो कई मंदिर मौजूद हैं। लेकिन उनके वाहन यानी गरुड़ देव को समर्पित देश में केवल एक मंदिर ही स्थित है, जिसकी मान्यता बहुत खास है। आज हम आपको इसी मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में बताएंगे।
06:30 AM Apr 17, 2024 IST | Nidhi Jain
यहां हो जाता है कालसर्प दोष का the end   विराजमान हैं स्वयं गरुड़ भगवान

Garud Chatti Temple: Amit raturi

Advertisement

देश में कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर स्थित है, जिनकी अपनी मान्यता और महत्व है। आज हम आपको देश के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां दर्शन मात्र से ही व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।

गरुड़ देव को समर्पित गरुड़ मंदिर उत्तराखंड के मणिकूट पर्वत पर बसा हुआ है। गरुड़ देव भगवान विष्णु के वाहन हैं। यह मंदिर लक्ष्मणझूला क्षेत्र में नीलकंठ धाम से लगभग 18 किलोमीटर पहले स्थित है। वहीं ऋषिकेश से इस मंदिर का रास्ता मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर है। हालांकि गांव वालों के बीच इस जगह को गरुड़ चट्टी के नाम से भी जाना जाता है।

Advertisement

धार्मिक मान्यता के अनुसार, जिस भी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, अगर वह एक बार इस मंदिर में आकर भगवान गरुड़ के दर्शन करता है, तो उसे कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।

Advertisement

ये भी पढ़ें- एक मोक्ष का दरवाजा, दूसरा स्वर्ग का रास्ता: 5 पॉइंट में जानें श्रीकृष्ण के द्वारकाधीश मंदिर के रहस्य

कैसे पड़ा इस जगह का नाम गरुड़ चट्टी?

हर साल गरुड़ देव मंदिर में दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में भक्तजन आते हैं। ये मंदिर बहुत बड़ा है। मंदिर के चारों ओर प्राकृतिक स्रोत के विशान कुंड हैं। मान्यता है कि गरुड़ मंदिर में एक पहाड़ की चट्टी है, जिस पर बैठकर ही गरुड़ देव तपस्या किया करते थे। इसी वजह से इस स्थान को गरुड़ चट्टी के नाम से जाना जाता है। यहां पर खासतौर पर नाग-नागिन का जोड़ा भी चढ़ाया जाता है।

गरुड़ और सांप की दुश्मनी क्यों है?

पुराणों के अनुसार, ऋषि कश्यप की दो पत्नी थीं। पहली पत्नी का नाम विनीता था और दूसरी का कदरू था। विनीता और कदरू दोनों बहने थी। विनीता के पुत्र का नाम गरुड़ था और कदरू के पुत्र को सर्प नाम से बुलाया जाता था।

एक दिन दोनों बहनों ने एक घोड़े को देखकर शर्त लगाई। विनीता का कहना था कि नदी पार खड़े घोड़े की पूंछ सफेद रंग की है। वहीं कदरू के अनुसार वो काले रंग की थी। कदरू ने अपनी बहन से कहा कि, अगर वो शर्त जीत गई, तो तुम्हें जीवनभर मेरी दासी बनकर रहना होगा। हालांकि ये बात सर्पों ने सुन ली और वो घोड़े की पूंछ से लिपट गए, जिसकी वजह से पूंछ काली दिखने लगी। इसके बाद विनीता ने कदरू की बात को स्वीकार कर लिया। लेकिन गरुड़ को ये बात स्वीकार नहीं थी। इसलिए उन्होंने अपनी माता को मुक्त करवाने के लिए कदरू के सामने एक प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि अगर वो स्वर्गलोक से अमृत कलश लाकर उन्हें दें देंगे, तो वो उनकी मां को मुक्त कर देंगी।

इसके बाद गरुड़ देव भगवान इंद्र के पास गए और उनसे विनती करने के बाद अमृत कलश को लेकर धरतीलोक पर आए और उसे कदरू को दे दिया। यह देख भगवान विष्णु के भक्त नारद मुनि ने एक माया रची। उन्होंने सर्पों से कहा कि तुम्हें एक यज्ञ करना होगा, लेकिन उससे पहले नदी में स्नान करना जरूरी है। नदी में स्नान करने के लिए सर्प अमृत कलश को वहीं रखकर चले गए। तभी गरुड़ देव वहां आए और उन्होंने अमृत कलश उठाकर देवराज इंद्र को दे दिया। इससे उनकी माता भी मुक्त हो गई और अमृत कलश भी सुरक्षित रहा। लेकिन इसके बाद से गरुड़ देव और सर्प के बीच लड़ाई का आरंभ हो गया।

ये भी पढ़ें- नवरात्रि में करें दिल्ली के इन 3 मंदिरों के दर्शन, दिल की हर मनोकामना होगी पूरी

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24  इसकी पुष्टि नहीं करता है। 

Open in App Tags :
Advertisement
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो