फूलों से लेकर भस्म तक, देश के इन प्रसिद्ध मंदिर में खास तरीके से खेली जाती है होली
India Best Mandir to Celebrate Holi: होली का त्योहार अपने साथ रंग और उल्लास लेकर आता है। इस दिन लोग आपसी बैर भुलाकर एक दूसरे को रंग लगाते हैं। हिंदू धर्म में इस पर्व की खास मान्यता है। इस बार होली का त्योहार 25 मार्च 2024 को मनाया जाएगा। होली के दिन घरों में तो रौनक देखने को मिलती ही है। इसी के साथ मंदिरों में भी खूब धूम होती है। अगर इस बार आप होली के दिन रंगों के साथ भक्ति में भी सराबोर होना चाहते हैं, तो आज हम आपको देश के कुछ फेमस मंदिरों के बारे में बताएंगे। जहां हर साल बड़ी धूमधाम से होली मनाई जाती है। यहां जाकर आप अपने होली के दिन को खास मना सकते हैं।
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द्वारकाधीश मंदिर
द्वारकाधीश मंदिर, गुजरात के द्वारका में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। यहां हर साल लाखों की संख्या में लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। यह मंदिर प्राकृतिक खूबसूरती से घिरा हुआ है। इसके अलावा यहां पर हर त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। खासतौर पर होली का। होली के त्योहार में यहां अलग ही धूम देखने को मिलती है। मंदिर में 'हरे रामा हरे कृष्णा' की धुन के साथ फूलों की होली खेली जाती है।
प्रेम मंदिर
प्रेम मंदिर, उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित है। यह मंदिर श्रीकृष्ण और राधा रानी को समर्पित है। होली का त्योहार मनाने के लिए हर साल बड़ी संख्या में लोग वृंदावन पहुंचते हैं। होली के कई दिनों पहले ही यहां होली खेलनी आरंभ हो जाती है। होली के खास मौके पर यहां राधा-कृष्ण का स्पेशल श्रृंगार किया जाता है। साथ ही मंदिर को रंग-बिरंगे फूल और लाइटों से सजाया जाता है। जो देखने में बहुत ज्यादा खास लगते हैं। इसके अलावा वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर और गोविंद देव जी मंदिर में भी होली का खास इंतजाम किया जाता है। यहां फूलों से लेकर रंगों तक से होली खेली जाती है।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर स्थित है। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी के इस मंदिर में होली के दिन अलग ही धूम दिखने को मिलती है। इसके अलावा वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर चिता की राख और भस्म की अनोखी होली खेली जाती है। मान्यता है कि भूत-प्रेत, चुड़ैल और पिशाच आदि बाबा विश्वनाथ के साथ यहां होली खेलने के लिए आया करते थे। वो लोग बाबा के साथ फूलों की होली खेलनी की जगह चिता की राख और भस्म से होली खेला करते थे। इसके बाद से आज तक यहां भस्म और चिता की राख से होली खेली जाती है।
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