Mahakal Mandir Ujjain में भोलेनाथ संग मनाएं होली, होलिका दहन से जुड़े रोचक तथ्य जान लें
Mahakal Mandir Ujjain: होली के दिन देश में एक अलग ही धूम देखने को मिलती है। लोग इस दिन आपसी बैर भुलाकर दोस्तों और परिजनों को रंग लगाते हैं। इस बार होली का त्योहार 25 मार्च 2024 को मनाया जाएगा। होली के दिन लोगों के घरों में तो उत्साह देखने लायक होता ही है। इसके अलावा देश के कुछ प्राचीन मंदिर ऐसे भी हैं, जहां पर होली खेलने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। आज हम आपको देश के एक ऐसे ही प्राचीन हिंदू मंदिर के बारे में बताएंगे। जहां देश में सबसे पहले होलिका दहन किया जाता है, जिसके लिए शुभ मुहूर्त भी नहीं देखा जाता है। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों के बारे में।
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महाकाल मंदिर की होली क्यों है खास?
बता दें कि महाकाल मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यह मंदिर शिव जी को समर्पित है। हालांकि देश के कई राज्यों में इसे श्री महाकालेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं।
महाकाल की नगरी में खास तरीके से होली खेली जाती है। यहां मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों और चमकीली लाइटों से सजाया जाता है। इसके अलावा मंदिर में भव्य आयोजन का भी इंतजाम किया जाता है। हर साल यहां होली खेलने के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं। इसके अलावा होली के खास मौके पर यहां बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया जाता है। इसी के साथ उन्हें विशेष भोग भी लगाया जाता है। वहीं भक्तजन बाबा को गुलाल के साथ-साथ धतूरा और भांग भी अर्पित करते हैं।
महाकाल मंदिर में सबसे पहले क्यों होता है होलिका दहन?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार 24 मार्च 2024 को होलिका दहन किया जाएगा, जबकि 25 मार्च को देशभर में होली खेली जाएगी। मान्यता के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन गोधूलि बेला पर होलिका दहन किया जाता है, जिसके अगले दिन रंग-गुलाल से होली खेली जाता है। आमतौर पर होलिका दहन की तैयारी होली से एक दिन पहले ही की जाती है। लेकिन महाकाल मंदिर में होलिका दहन की तैयारी होली से दो दिन पहले की जाती है। इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च 2024 की रात 11:13 मिनट से देर रात 12:27 मिनट तक है। लेकिन यहां पर होलिका दहन शुभ मुहूर्त से पहले ही कर लिया जाता है।
महाकाल मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि यहां सदियों से शुभ मुहूर्त से पहले ही होलिका दहन किया जाता रहा है। इसलिए आज भी यहां सबसे पहले होलिका दहन होता है। मंदिर के परिसर में होलिका जलाई जाती है। सबसे पहले विधि-विधान से होलिका की पूजा होती है, जिसके बाद बाबा की आरती भी की जाती है। फिर भक्तगणों पर रंग-बिरंगे गुलाल उड़ाए जाते हैं।
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