Mehandipur Balaji की होली क्यों है खास? जानें भूत-प्रेत सहित मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें
Mehandipur Balaji Mandir, Rajasthan: होली का त्योहार आने में बस एक दिन का समय बाकी है। लोग बेसब्री से इस त्योहार का इंतजार कर रहे हैं। 25 मार्च को देशभर में रंगों का त्योहार मनाया जाएगा। होली के दिन जहां कई लोग घर पर ही अपने परिवार वालों के साथ त्योहार को खास मनाते हैं, तो वहीं कुछ बाहर घूमने भी जाते हैं। अगर इस बार आप भी होली पर कहीं बाहर जाना चाहते हैं, तो आप मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जा सकते हैं। यहां हर साल होली के मौके पर भव्य आयोजन किए जाते हैं। भक्तों के लिए विशाल होली मेला लगाया जाता है। इसके अलावा मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों और लाइटों से सजाया जाता है।
आइए जानते हैं मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में।
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मेहंदीपुर बालाजी की होली क्यों है खास?
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। यह मंदिर हनुमान जी को समर्पित है। इस मंदिर को देश के सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। मंदिर में हनुमान जी के अलावा राम जी और माता सीता की भी मूर्ति है।
बता दें कि हनुमान जी के भक्तों के लिए हर साल मेहंदीपुर बालाजी में मेले का आयोजन किया जाता है। मेले में बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए झूले, चाट, पकौड़े और मिठाइ आदि की दुकानें लगाई जाती है। इस साल होली के मौके पर बालाजी धाम में 22 मार्च 2024 से लेकर 27 मार्च 2024 तक होली मेले का आयोजन किया जाएगा।
वहीं बालाजी मंदिर को फूलों और लाइटों से सजाया जाता है। इसके अलावा होली के मौके पर भक्तों के लिए खास प्रसाद वितरण का भी इंतजाम किया जाता है।
मेहंदीपुर बालाजी की उत्पत्ति कैसे हुई?
जानकारों के अनुसार, ये मंदिर आज से करीब एक हजार साल पुराना है। मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान हनुमान की जो मूर्ति है, वो राजस्थान में मौजूद पर्वतमाला में अरावली की पहाड़ियों में स्वयं प्रकट हुई थी। मूर्ति मिलने के बाद श्री महंत जी के पूर्वज ने दौसा जिले में मंदिर का निर्माण करवाया था।
उस समय श्री महंत जी के पूर्वज ही इस मंदिर की देखरेख किया करते थे। इसके अलावा वो ही सुबह मंदिर के कपाट खोलने के बाद बालाजी की पूजा करते थे। माना जाता है कि जो भी भक्त यहां अपनी मनोकामना लेकर आता है, उसकी इच्छा जरूर पूरी होती है।
बालाजी का प्रसाद घर क्यों नहीं लाते?
हालांकि कई लोग मेहंदीपुर बालाजी जाने से डरते भी है, क्योंकि यहां वो लोग ज्यादा जाते हैं, जो भूत-प्रेत एवं ऊपरी बाधा से ग्रसित होते हैं। यहां पर आपको चिल्लाते हुए, खुद को मारते और चोट पहुंचाते लोग ज्यादा दिखाई देंगे।
इसके अलावा मंदिर से जुड़ी कुछ खास मान्यता ये भी हैं कि यहां आरती के समय किसी को भी पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। इसके अलावा मंदिर में प्रसाद नहीं खाना चाहिए और न ही उसे अपने साथ घर लेकर जाना चाहिए। नहीं तो उन पर ऊपरी भूत-प्रेत आ जाती है।
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