क्या बीयर की बोतल के कलर से बदल जाता है टेस्ट? सच जानकर हो जाएंगे हैरान
Beer Bottle Color Packaging: अगर आप बीयर के शौकीन हैं और अक्सर अपने वीकेंड्स पर इसका आनंद लेते हैं तो हम आपके लिए एक जरूरी जानकारी लेकर आए हैं। बता दें कि अलग-अलग ब्रांड की बीयर अलग-अलग रंग के बोतलों में आती हैं, मगर क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? इसके पीछे एक खास कारण है, जिसके बारे में जानना आपके लिए जरूरी है। ये अलग-अलग रंग की बोतलें सूरज की किरण के साथ अलग-अलग तरीके से रिएक्ट करती हैं। इसका सीधा असर बीयर के टेस्ट पर पड़ता है। यहां हम इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
अलग-अलग कलर की क्यों होती है बोतलें?
बता दें कि बीयर की बोतलों का कलर सिर्फ सुंदरता या मार्केटिंग के लिए नहीं होता है। इससे बियर का टेस्ट और क्वालिटी भी प्रभावित होती है। ये अलग-अलग कलर की बोतलें बीयर को फ्रेश रखने में मदद करती हैं। बीयर की कांच की बोतलों में पैकेजिंग 19वीं सदी से ही चली आ रही है। इसका कारण ये है कि कांच की बोतलों में बीयर लंबे समय तक फ्रेश रहती है और यह एक सस्ता और बेहतरीन तरीका रहा है।
कुछ समय बाद ये बात सामने आई की क्लीयर कांच बोतलों में बीयर को स्टोर करना सही नहीं है , क्योंकि जब ये बीयर की बोतलें सूरज के प्रकाश में आती हैं तो उसमें ऐसे स्वाद और सुगंध में बदलाव आ जाता है, जो पीने के अच्छा नहीं लगता है। इस घटना को लाइटस्ट्रक कहा जाता है।
यह तब होता है जब सूरज की UV किरणें बीयर पर पड़ती हैं और इसके इंग्रीडिएंट्स खासकर हॉप्स के साथ प्रतिक्रिया करती हैं। बता दें कि हॉप्स में आइसोहुमुलोन होते हैं, जो इसकी गंध को बदल सकते हैं।
अलग-अलग कलर की क्यों होती है वीयर की बोतलें
ब्राउन बोतल का इस्तेमाल
इस समस्या से बचने के लिए कंपनियों ने ब्राउन या एम्बर बोतलें का इस्तेमाल करना शुरू किया। ये बोतलें UV किरणों से बीयर की सुरक्षा करती हैं। इससे किसी भी तरह की लाइट पास नहीं होती है, जिससे बीयर में मौजूद संवेदनशील इंग्रीडिएंट्स के साथ कोई केमिकल रिएक्शन नहीं हो पाता है।
इसलिए, भूरी बोतलें इसकी शुद्धता को बचाकर रखती हैं। भूरे रंग की बोतलें आम तौर पर तब इस्तेमाल में आईं जब शराब बनाने वाले लोग अपने प्रोडक्ट पर प्रकाश और अन्य एक्सपोजर के प्रभाव को रोकना चाहते हैं।
ग्रीन बोतल का इस्तेमाल
ग्रीन बोतलों का इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान तेजी से बढ़ा। इसका सबसे बड़ा कारण भूरे रंग का कांच बाजार में उपलब्धता में कमी थी। उस समय शराब बनाने वाली कंपनियों ने हरे रंग के कांच का उपयोग करना शुरू कर दिया और कंज्यूमर ने इस कलर को स्वीकार कर लिया।
बता दें कि हरी बोतलों में भूरे रंग की बोतलों की तरह UV किरणों से सुरक्षा की क्षमता कम होती है। हरी बोतलों में रखी बीयर के प्रकाश में आने की संभावना अधिक होती है, जिससे इसका स्वाद बदबूदार होता है। इसके बाद भी कंपनियों ने इसका उपयोग जारी रखा और सिर्फ ब्रांडिंग और परंपरा के कारण हरी बोतलों का इस्तेमाल होती रही।
अभी भी होता है क्लीयर बोतलों का इस्तेमाल
क्लीयर बोतलों का इस्तेमाल अभी भी किया जा रहा है, लेकिन अब इस बोतलों में कंपनियों ने कई यूवी-प्रोटेक्शन कोटिंग लगाना शुरू कर दिया है। ऐसे में क्लीयर पैकेजिंग से जुड़े जोखिमों को मैनेज करने में मदद मिली है और लोगों ने इस प्रोडक्ट को पसंद भी किया है।
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