whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.
Advertisement

Success Story: प्रगनानंदा के द्रोणाचार्य अवॉर्ड विजेता कोच, ट्रेनर बनने के लिए छोड़ी नौकरी, रिश्तेदारों से लेना पड़ा कर्ज

Sports Dronacharya Awards RB Ramesh: द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता आरबी रमेश ने बताया, मुझे लगा कि मैं खिलाड़ी होने के बजाय प्रशिक्षक बनकर अधिक योगदान दे सकता हूं।
11:35 AM Dec 21, 2023 IST | Shubham Singh
success story  प्रगनानंदा के द्रोणाचार्य अवॉर्ड विजेता कोच  ट्रेनर बनने के लिए छोड़ी नौकरी  रिश्तेदारों से लेना पड़ा कर्ज

Sports Awards: शतरंज कोच आरबी रमेश को द्रोणाचार्य अवॉर्ड के लिए नामित किया गया है। वे ग्रैंड मास्टर आर प्रगनानंदा और उनकी बड़ी बहन आर वैशाली के कोच हैं। वे खुद भी शतरंज के बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं, जिन्होंने अपने शिष्यों को सफलता की उंचाईयों पर पहुंचाया। आरबी रमेश का जीवन बहुत ही संघर्ष भरा रहा है। यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कठिन परिश्रम किया है। इसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी।

Advertisement

ऐसे समय में जब सभी नौकरी की तलाश में रहते हैं आरबी रमेश आरामदायक नौकरी छोड़कर शतरंज की ट्रेनिंग देने लगे। रमेश इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन में नौकरी करते थे। 32 साल की उम्र में वे देश के बड़े शतरंज खिलाड़ियों में से एक थे। शतरंज सिखाने से उन्हें इतना लगाव था कि उन्होंने नौकरी तो छोड़ी ही अपने खेल से भी सन्यास ले लिया और चेस ट्रेनर बन गए।

ये भी पढ़ें-ईडी की चार्जशीट में बड़ा खुलासा, चीनी स्मार्टफोन मेकर Vivo ने भारत सरकार को कैसे दिया धोखा?

Advertisement

क्या बताया आरबी रमेश ने

रमेश ने अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, नौकरी छोड़ना बहुत जोखिम भरा निर्णय था। मैंने अपना खेल करियर भी उस समय छोड़ा था जब मैं कॉमनवेल्थ चैंपियन था। उन्होंने कहा कि अब पीछे मुड़कर देखने पर मैं उन दो फैसलों को लेकर बहुत खुश और गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। उस समय मेरा मन कोचिंग में ज्यादा लगता था। मुझे लगा कि मैं एक खिलाड़ी होने के बजाय प्रशिक्षक बनकर अधिक योगदान दे सकता हूं।

Advertisement

दोस्तों ने ऐसा नहीं करने को कहा-रमेश

रमेश ने आगे कहा कि, मैं पहले से ही कुछ खिलाड़ियों के साथ काम कर रहा था जो कम समय में अच्छा सुधार दिखा रहे थे। इससे मुझे हर संभव प्रयास करने का आत्मविश्वास मिला। मेरा परिवार मेरी सैलरी पर ही निर्भर था। इसकी भी गारंटी नहीं थी कि सिखाने के लिए पर्याप्त छात्र मिल पाएंगे और यह ज्यादा समय तक पैसा कमाने का स्थायी तरीका होगा। मेरे कई दोस्तों ने मेरे इस फैसले को अच्छा नहीं बताया था और ऐसा नहीं करने की सलाह दी थी।

रमेश ने बताया कि उनकी पत्नी आरती रामास्वामी ने उनके सपने को पूरा करने में बहुत सपोर्ट किया। शतरंज गुरुकुल अकादमी बनाई गई। चेन्नई अकादमी से कई प्रतिभाशाली शतरंज खिलाड़ी उभरे हैं , जिनमें आर प्रगनानंद, वैशाली रमेशबाबू और अरविंद चिथंबरम हैं।

रमेश ने कहा कि, मेरी पत्नी आरती ने सारी (वित्तीय) जिम्मेदारी ली ताकि मैं शतरंज ट्रेनर के रूप में अपने करियर पर ध्यान दे सकूं। उस समय परिवार चलाने के लिए मेरे पास स्थिर आय का कोई जरिया नहीं था। हमें रिश्तेदारों आदि से कर्ज लेना पड़ा। यह बहुत आसान नहीं था। मेरी पत्नी को मेरी क्षमताओं पर विश्वास था।

ये भी पढ़ें-Coronavirus : कोरोना हुआ खतरनाक! केरल में 300 तो कर्नाटक में 13 नए मामले, देश में 2600 के पार केस

(paradiseweddingchapel.com)

Open in App Tags :
Advertisement
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो